What is Panchakarma Treatment in hindi, पंचकर्म क्या है,
आयुर्वेद एक प्राचीन निवारक और उपचारात्मक भारतीय चिकित्सा पद्धति है जिसके अनुसार हमारा शरीर पंचमहाभूत के पांच तत्वों से बना है: आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। और वात, पित्त और कफ ये त्रिदोष हमारे शरीर में इन पंचमहाभूत के पंच तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार इस शारीरिक दोषों को एक समान अवस्था में रखना जरूरी है। क्योंकि इनके समान अवस्था में होने पर हम स्वस्थ होते हें, जबकि ये दोष असमान होने पर शरीर में रोग उत्पन्न हो जाते हें।
मैंने अपने पिछले लेख में पंचकर्म के बारे में विस्तार बताया है। आप आयुर्वेद चिकित्सा प्रकार, पंचकर्म विधियाँ, और ऋतुके अनुसार पंचकर्म के बारे में और अधिक पढ़ सकते हें।
आयुर्वेद दोषों के विकृत होने के कारणों को मुख्य रूप से अस्वस्थ जीवनशैली, विपरीत आहार-विहार (जो प्रकृति, संस्कार, संयोग और समय के विरुद्ध हो) आदि को मानता है।
“Rog Sarvepi Mandagni”।
आयुर्वेद कहता है कि सभी रोगों का मुख्य कारण मंदाग्नि और उससे जुड़े कारक हैं। जब कोई व्यक्ति कम पाचन अग्नि या मन्दग्नि से पीड़ित होता है, तो यह उन्हें अमा दोष की स्थिति में ला सकता है, जो कि अपचित भोजन विषाक्तता है। ‘अमा दोष’ त्रिदोषों, धातुओं और शरीर के चैनलों में रुकावटों के असंतुलन और खराब होने का कारण बनता है।
इसके अलावा, आयुर्वेद रोगों के उत्पन्न होने का कारण जठराग्नि की मंदता (जो अस्वास्थ्यकर जीवनशैली, व विपरीत आहार-विहार (uncompatible diet and lifestyle) आदि के होता है ) को मानता है। जठजागनी का मंद होना दोषों को विषम करता है जो विभिन्न रोगों जैसे – विसूचिका, बुखार, आमवाती विकार, श्वसन संबंधी विकार, अपच, ग्रहणी रोग, सूजन (एडिमा), कब्ज आदि कई रोगों का मूल हैं।
पंचकर्म को शोधन चिकित्सा भी कहा जाता है, यह आयुर्वेद की प्रधान चिकित्सा पद्धतियों में से एक है। जिसमें विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों, हर्बल तेल, भाप चिकित्सा, नस्य चिकित्सा, वामन चिकित्सा, बस्ती चिकित्सा, मालिश सहित, और शुद्धिकरण चिकित्सा के माध्यम से शरीर में संचित विषाक्त पदर्थों व दोषों को बाहर निकालता है जो अनेक रोगों को चिकित्सा में प्रभाव शाली है।
पंचकर्म चिकित्सा के प्रकार, Panchkarma treatment types in hindi
कर्म चिकित्सा रोगों को जड़ से समाप्त करने की शक्ति रखता है इसमें विभिन्न रोगों की चिकित्सा के लिए पाँच कर्म मुख्य रूप से प्रयुक्त किये जाते हें जो इस प्रकार है।
- वमन (emesis)- यह कफ दोष की चिकित्सा है
- विरेचन – पित्तदोष की चिकित्सा
- आस्थापन बस्ती – वात दोष की चिकित्सा
- निरूह बस्ती – वात दोष अथवा वातज रोगों की चिकित्सा
- शिरोविरेचन या नस्य (nasya)- ऊर्ध्व जतरुगत रोगों (शिरोरोग) की चिकित्सा।
पंचकर्म की कई विधियाँ आधुनिक अध्ययनों में भी प्रभावी साबित हुयी हैं1Dubey, Sarvesh et al. “A Comparative clinical trial on the role of Panchakarma therapy and Unmada Gajankusha Rasa in the cases of major depressive disorder vis-à-vis kaphaja Unmada.” Ayu vol. 31,2 (2010): 205-9. doi:10.4103/0974-8520.72396। रोगी को पंचकर्म कराने से पहले अथवा रोगी को पंचकर्म के योग्य बनाने से पहले विभिन्न प्रकार के पूर्व कर्म किए जाते हैं जीके बारे में मेंने पिछले लेख में विस्तार से बताया है। पंचकर्म चिकित्सा (Panchakarma Treatment in hindi) व इसके फायदे, प्रकार और उपियोगिता के बारे में विस्तार से पढ़ें।
References
- 1Dubey, Sarvesh et al. “A Comparative clinical trial on the role of Panchakarma therapy and Unmada Gajankusha Rasa in the cases of major depressive disorder vis-à-vis kaphaja Unmada.” Ayu vol. 31,2 (2010): 205-9. doi:10.4103/0974-8520.72396