वर्तमान समय में, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसे हृदय रोग सबसे अधिक प्रचलित जीवनशैली विकारों में से एक बन गए हैं। इसके अलावा, वे लगभग सार्वभौमिक रूप से घातक हृदय रोग के लिए सबसे विशिष्ट जोखिम कारक के रूप में पहचाने जाते हैं। इस प्रकार की बीमारियों के लिए, मुक्ता वटी (Mukta Vati), एक आयुर्वेदिक औषधि, एक आशाजनक विकल्प प्रतीत होती है।
हालांकि आधुनिक उपचार के विकल्प ऐसे अधिकांश रोगों का प्रबंधन करने के लिए काम करते हैं, उनके दीर्घकालिक परिणाम असंतोषजनक होते हैं, और उन्हें अच्छी तरह से सहन भी नहीं किया जाता है। नतीजतन, विश्व अब इस तरह की प्रचलित जीवन शैली की बीमारियों के प्रभावी समाधान के लिए आयुर्वेद की ओर देख रहा है।
मुक्ता वटी क्या है, Mukta Vati in hindi
मुक्ता वटी एक आयुर्वेदिक हर्बल औषधि है जो मुख्य रूप से उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, चिंता और तनाव जैसे कार्डियोवैस्कुलर विकारों को दूर करने के लिए आवंटित की जाती है। उच्च रक्तचाप का इलाज करने के साथ-साथ यह सीने में दर्द और सिरदर्द के उपचार में उपयोग में लायी जाती है।
मुक्ता वटी में मुख्य रूप से अर्जुन, अश्वगंधा, गुडुची और ब्राह्मी के पौधे के सक्रिय संघटक (सार) होते हैं जो अपने लाभकारी एंटीऑक्सिडेंट, कार्डियोप्रोटेक्टिव, एंटीडिप्रेसेंट और एंटीहाइपरटेंसिव गुणों के लिए जाने जाते हैं।
मुक्ता वटी के घटक: Mukta vati ingredients in hindi
- अर्जुन (टर्मिनलिया अर्जुन)– यह एक प्राचीन कार्डियोवैस्कुलर जड़ीबूटी है जिसका उपयोग एंजाइना, उच्च रक्तचाप और डिस्लिपिडेमिया जैसी हृदय संबंधी स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है।
- शंखपुष्पी (कॉन्वोल्वुलस प्लुरिकौलिस)- यह मानसिक शांति प्रेरित करने में मदद करती है, अच्छी नींद को बढ़ावा देती है, और तनाव के विभिन्न स्तरों के कारण होने वाली घबराहट, तनाव और मानसिक थकावट को कम करती है। आयुर्वेदिक ग्रंथ में भी इसका उल्लेख है जो दवा को ब्रेन टॉनिक मानता है। इसने क्लिनिकल अध्ययनों में उच्च रक्त चाप को कम करने में काफी आशाजनक प्रभाव प्रदर्शित किए हें।
- सर्पगंधा (राउवोल्फिया सर्पेंटिना)- यह एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक दवा है जो बिना किसी गंभीर प्रतिकूल परिणाम के उच्च रक्तचाप के प्रबंधन में प्रभावी है। इसने अनिद्रा और चिंता से राहत दिलाने में महत्वपूर्ण परिणाम प्रदर्शित किए हैं।
- उग्रगंधा या वचा (एकोरस कैलमस)- यह वात और कफ दोष को संतुलित करता है और न्यूरोलॉजिकल और मेटाबोलिक स्थितियों में फायदेमंद है।
- गिलोय या गुडूची (टीनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया)– यह एक रसायन औषधि है जो अपने एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-एलर्जिक और एंटी-डायबिटिक प्रभावों के लिए जाना जाता है। यह आपके तीनों दोषों (वात, पित्त और कफ) को संतुलित करता है और आयुर्वेद में बुखार, पीलिया, दस्त, कैंसर, दर्द, अस्थमा, त्वचा रोग और नेत्र विकारों के इलाज के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
- अश्वगंधा (विथानिया सोमनीफेरा)- यह एक आवश्यक कायाकल्प जड़ी बूटी है जिसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में “रसायन” के रूप में किया जाता है। इसका कामोत्तेजक और कायाकल्प प्रभाव है। इसके अलावा, यह शरीर को आराम देता है और सामान्य दुर्बलता, चिंता और तनाव से राहत देता है।
- ज्योतिष्मति (सेलास्ट्रस पैनिकुलटस)- इसमें महत्वपूर्ण हाइपोलिपिडेमिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह वात और कफ को संतुलित करता है। आयुर्वेद में इसका प्रयोग मानसिक रोगों के लिए किया जाता है।
- गोजिह्वा या गाओज़बान (ओनोस्मा ब्रैक्टिएटम)- यह वात और पित्त दोष को शांत करता है और हृदय के लिए सहायक है।
- ब्राह्मी (बकोपा मोननेरी)- मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए इसका उपयोग मेध्य रसायन (नॉट्रोपिक) के रूप में किया जाता है। कभी-कभी ब्राह्मी के विकल्प के रूप में मंडुकपर्णी (सेंटेला एशियाटिका) का उपयोग किया जाता है।
- पुष्करमूल (इनुला रेसमोसा)- यह वात और कफ दोष को शांत करता है और हृदय और सांस की बीमारियों में इसका उपयोग निर्देशित है। हाल के अध्ययनों में इसकी बीटा-ब्लॉकिंग गतिविधि के लिए इसका अध्ययन किया गया है और इसने महत्वपूर्ण कार्डियोप्रोटेक्टिव गतिविधियों का प्रदर्शन किया है।
- जटामांसी (Nardostachys jatamansi)- यह स्मृति (स्मरण-शक्ति)में सुधार करता है और भूलने की बीमारी और डिस्लेक्सिया (learning disorder) जैसे संज्ञानात्मक और अपपठन के विकारों में अधिक उपयोगी है।
- लैवंडुल स्टोचस- इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एनाल्जेसिक (वेदनाहर) और शामक (sedative) प्रभाव होते हैं और यह चिंता और अनिद्रा में सहायक है, और नींद की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
- मुक्ता पिष्टी- यह उच्च रक्तचाप और अन्य हृदय रोगों को के उपचार में उपयोग किया जाता है।
Mukta Vati Uses, Benefits in Hindi: मुक्ता वटी के फायदे
मुक्ता वटी में एंटीहाइपरटेंसिव, एंटीडिप्रेसेंट और ट्रैंक्विलाइजिंग गुणों वाली शक्तिशाली जड़ी-बूटियां होती हैं। यह मानसिक शांति को प्रेरित करता है, तनाव, चिंता और अनिद्रा से राहत देता है और बढ़े हुए रक्तचाप को कम करता है।
उच्च रक्तचाप कम करने में सहायक
मुक्ता वटी में सर्पगंधा ब्राह्मी जैसी शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां शामिल हैं, जो पहले से ही अपने एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव के कारण एंटीहाइपरटेंसिव (उच्चरक्तचापरोधी) गुणों के लिए जानी जाती हैं। इस प्रकार मुक्ता वटी के सेवन से उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करती है।
हाल ही के एक वैज्ञानिक अध्ययन ने मुक्ता वटी की एंटीहाइपरटेंसिव गतिविधि का मूल्यांकन किया और निष्कर्ष निकाला कि मुक्ता वटी उच्च रक्तचाप से ग्रस्त व्यक्तियों में एक एंटीहाइपरटेंसिव प्रभाव डालती है।
तनाव और चिंता को कम करने में सहायक
मुक्ता वटी में सर्पगंधा, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, जटामांसी, और अश्वगंधा जैसी रसायण जड़ी-बूटियां होती हैं, जिन्हें शक्तिशाली मस्तिष्क टॉनिक माना जाता है, जो मानसिक शांति प्रेरित करती हें, अच्छी नींद लाती हें, घबराहट, तनाव और
विभिन्न स्तरों के दबाव के कारण होने वाली मानसिक थकावट से राहत देता है।
इनके अलावा, यह असंतुलित शारीरिक दोषों (वात, पित्त और कफ) को हुए संतुलित करने में मदद करता है।
हृदय रोग के प्रबंधन में सहायक
मुक्ता वटी में लाभकारी एंटीऑक्सिडेंट और हाइपोलिपिडेमिक गुण होते हैं जो उच्च कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने और आगे हृदय रोग को रोकने में मदद करते हैं। इसके अलावा इसमें अर्जुन (टर्मिनलिया अर्जुन) है, जिसे आयुर्वेद में हृद्य (कार्डियक टॉनिक) माना जाता है। यह कोलेस्ट्रॉल और हृदय से संबंधित सीने में दर्द को कम करता है। इसके अतिरिक्त, अर्जुन रक्तचाप को कम करने में भी मदद करता है।
हृदय रोगों में अर्जुन के अद्भुत लाभों के बारे में हम पहले ही विस्तार से चर्चा कर चुके हें।
मुक्ता वटी कैसे खाएं
मुक्ता वटी की खुराक और सेवन विधि
- आमतौर पर नाश्ते और रात के खाने से पहले 1 से 2 गोलियां दी जाती हैं। एक आयुर्वेदिक चिकित्सक आपके रक्तचाप के अनुसार उचित खुराक जारी कर सकता है।
- औषधि को अनुपान (सह-पेय) जैसे- गुनगुना पानी/दूध/नारियल पानी आदि के साथ लेना अधिक फायदेमंद है।
- यदि आपका रक्तचाप नियंत्रित नहीं है, तो आपका डॉक्टर खुराक बढ़ा सकता है।
- आपको इसे चिकित्सकीय देखरेख में लेना ही लेना चाहिए चाहिए। स्वयं दवा लेने सलाह नहीं दी जाती है।
क्या मुक्ता वटी को एलोपैथिक दवा के साथ लिया जा सकता है?
आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दवाओं को एक साथ लेने से पहले आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि कुछ आयुर्वेदिक दवाएं एलोपैथिक दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकती हैं। आपका डॉक्टर आपको सुझाव देगा कि आपको इसे एलोपैथिक दवा के साथ लेना चाहिए या नहीं।
मुक्ता वटी के नुकसान: Mukta Vati Side Effects in Hindi
- मुक्ता वटी के उपयोग से संबन्धित कोई गंभीर प्रतिकूल परिणाम नहीं बताया गया है। ज्यादातर लोग इसे अच्छी तरह सहन कर लेते हैं।
- सकारात्मक प्रभाव इसके प्रतिकूल प्रभावों से अधिक है; साथ ही, दवा पर निर्भरता नहीं बनती है।
- जहां तक साइड इफेक्ट का संबंध है, बंद नाक (जमाव) सबसे आम तौर पर बताया गया साइड इफेक्ट था, जबकि सुस्ती और बेहोशी कम आम (less common) थी। यह प्रभाव संभवतः सर्पगंधा (राउवोल्फिया सर्पेंटिना) में पाए जाने वाले रिसर्पाइन अल्कलॉइड के कारण होता है।
- गर्भवती महिलाओं को उच्च रक्तचाप के लिए इस दवा को लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।
- बिना चिकित्सक की सलाह के इस दावा का सेवन नहीं करना चाहिए।
क्या करें और क्या ना करें
- तनाव से बचें क्योंकि इससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जो दिल की सेहत के लिए ठीक नहीं है।
- योग जैसे तन-मन के व्यायाम करने से इन समस्याओं से निपटने में मदद मिल सकती है।
- इसके अलावा, नमक का सेवन कम करने से हाई बीपी को मैनेज करने में मदद मिलती है।
अनुसंधान और सत्यापन
चूहों में डीऑक्सीकोर्टिकोस्टेरोन एसीटेट नमक-प्रेरित उच्च रक्तचाप में मुक्तावती की एंटीहाइपरटेंसिव गतिविधि पर शोध से पता चला कि छह सप्ताह के लिए मुक्तावटी 10mg/kg ने रक्तचाप में वृद्धि को काफी हद तक रोक दिया। यह पहला वैज्ञानिक अध्ययन है जिसने मुक्ता वटी की उच्चरक्तचापरोधी गतिविधि का मूल्यांकन किया।