सूतशेखर रस (Sutshekhar Ras) एक आयुर्वेदिक रस औषधि है। योगरत्नाकर में इसे अम्लपित्त (hyperacidity) रोगाधिकार के अंतर्गत इसका वर्णन किया गया है1योगरत्नाकर, अम्लपित्त चिकित्सा अध्याय, सूतशेखर रस। अम्लपित्त के अलावा यह औषधि गुल्म रोग (abdominal lump), दाह रोग (जलन), अतिसार, सिर दर्द आदि रोगों में उपयोगी बताई गयी है।
सूतशेखर रस रसशास्त्र में खरलीय रसायन के अंतर्गत वर्णित है। खरलीय रसायन का अर्थ है जिन औषधियों को खल्व यंत्र में विचूर्णन के द्वारा तैयार किया जाता है।
सुतशेखर रस का सर्वप्रथम वर्णन रसचिंतामणि में मिलता है। इसके पश्चात अनेक रसग्रन्थों जैसे- योगरत्नाकर, रसतंत्रसार, और भैषज्यरत्नावली में सुतशेखर रस औषधि नाम से विभिन्न योगों का वर्णन मिलता है।
बृहत निघंटू रत्नाकर में इसे सूर्य शेखर नाम से वर्णित किया गया है। भैषज्यरत्नावली में यह औषधि सीतारि रस नाम से उल्लेखित है2भैषज्यरत्नावली, ज्वर चिकित्सा अध्याय, सीतारी रस। वर्तमान में प्रचलित सूतशेखर रस औषधि योग रत्नाकर में वर्णित सूतशेखर रस से ही संदर्भित है3Sharma, Karunanidhi & Kumar, Sanjay & Paul, Vd & Swami, Kanchan & Rajput, Dhirajsingh. (2019). Critical Review Of Sootashekhara Rasa।
आयुर्वेद सारसंग्रह में सूरतशेखर रस के २ योगों का वर्णन है जोकि इस प्रकार हें:
- सूतशेखर रस स्वर्ण युक्त
- और सूतशेखर रस स्वर्ण रहित
स्वर्ण रहित सूतशेखर रस का संदर्भ सिद्धयोग संग्रह से लिया गया है। जिसमें स्वर्ण भस्म को हटाकर औषधि को स्वर्ण रहित (सूतशेखर रस सादा) बनाया गया है। स्वर्ण रहित सूतशेखर रस स्वर्ण युक्त की तुलना में कुछ सस्ता होता है और आयुर्वेद सार संग्रह में दोनों को पर्याप्त रूप प्रभावी बताया गया है।
वर्तमान में सूतशेखर रस स्वर्णयुक्त और सूतशेखर रस स्वर्ण रहित दोनों का प्रचलन है। आयुर्वेद सार संग्रह में दोनों रस योगों को समान रूप से प्रभावी बताया गया है।
सूतशेखर रस के घटक: Sutshekhar Ras Ingredients in Hindi
“योग रत्नाकर के अनुसार” सुतशेखर रस में भावना द्रव्य (यानी भृंगराज स्वरस) सहित कुल 18 घटक द्व्रव्य शामिल हैं। सभी घटक द्रव्यों को समान भाग में लिया जाता है।
- शुद्ध पारद (Hydrargyrum)
- शुद्ध गंधक (Sulphur)
- शुद्ध टंकण (Borax)
- स्वर्ण भस्म (Gold ashes)
- ताम्र भस्म (Cuprum)
- शंख भस्म (Turbinella pyrum)
- शुद्ध वत्सनाभ (Aconitum ferox)
- शुद्ध धतूरा (Datura metal)
- शुण्ठी (Zingiber officinale)
- मरिच (Piper nigrum)
- पिप्पली (Piper longum)
- दालचीनी/त्वक (Cinnamomum zeylanicum)
- तेजपत्र (Cinnamomnm tamala)
- एला (Elettaria cardamomum)
- नागकेशर (Mesua ferrea)
- बिल्व (Aegle marmelos)
- कचूरा (Curcuma zedoaria)
- भृंगराज स्वरस (Eclipta alba) – भावना द्रव्य के रूप में उपयोग किया जाता है।
सिद्ध योग संग्रह के अनुसार, शुद्ध वत्सनाभ (एकोनिटम फेरॉक्स) के स्थान पर रजत भस्म को घटक द्रव्य के रूप में लिया गया है। स्वर्ण रहित सुतशेखर रस जिसका आयुर्वेद सार संग्रह में वर्णन किया गया है, को “सिद्धि योग संग्रह” से संदर्भित किया गया है। जिसमें स्वर्ण भस्म और वत्सनाभ को हटा दिया गया है।
सूतशेखर रस बनाने की विधि
सूतशेखर रस को खरलीय रसायन निर्माण विधि से तैयार किया जाता है। सबसे पहले शुद्ध पारद व शुद्ध गंधक को खल्व यन्त्र में लेकर महीन कज्जली तैयार की जाती है। तत्पश्चात अन्य सभी घटक द्रव्यों को चूर्णित कर मिश्रण बनाते हैं।
इसके बाद सभी घटक द्रव्यों के मिश्रण को खरल में २१ दिन तक “भृंगराज स्वरस की भावना” देकर तब तक पीसते हैं जब तक कि महीन मिश्रण प्राप्त न हो जाये। और अंत में प्राप्त औषधि मिश्रण की २-२ रत्ती यानि की २५० मिलीग्राम की गोलियां (सूतशेखर रस टैबलेट) बना ली जाती हैं। इस प्रकार प्राप्त रस औषधि को सूतशेखर रस कहते हैं।
सूतशेखर रस श्लोक: Sutshekhar Ras Shloka
शुद्धं सूतं मृत स्वर्णं टंकणं वत्सनागकम् ।
– योगरत्नाकर, अम्लपित्त चिकित्सा
व्योषमुन्मत्तबीजं च गन्धकं ताम्रभस्मकम् ।। १॥
चतु्र्जातं शंखभस्म बिल्वमज्जा कचोरकम् ।
सर्व सम॑ क्षिपेत्खल्वे मर्द्यं भृङ्गरसैर्दिनम् ।।२॥॥
गुञ्जामात्रां वटीं कृत्वा द्विगुञ्जे मधुसर्पिषी ।
भक्षयेदम्लपित्तघ्नो वान्तिशूलामयापह: ।।३॥।
पञ्च गुल्मान्पञ्च कासाग्रहण्यामयनाशनः ।
त्रिदोषोत्थातिसारघ्नः श्वासमन्दाग्निनाशन: ।।४॥।
उग्रहिक्कामुदावर्त देहयाप्यगदापह: ।
मण्डलान्नात्र संदेह: सर्वरोगहरः परः ।।
राजयक्ष्महर: साक्षाद्रसो5यं सूतशेखर: ।।५।॥।
सूतशेखर रस का उपयोग: Sutshekhar Ras uses in Hindi
Sutshekhar Ras tablet uses in Hindi
- अम्लपित्त (hyperacidity/GERD)
- सिरदर्द या माइग्रेन सिर दर्द (headache)
- गुल्म (Abdominal Lump)
- संग्रहणी अथवा ग्रहणी रोग (malabsorption syndrome/IBS)
- अतिसार (diarrhea)
- मंदाग्नि (जठराग्नि कमजोर होना)
- शूल (pain)
- भ्रम (Confusion)
- हृददाह (पेट में जलन)
- वमन (vomiting)
- श्वास (dyspnoea)
- राजयक्ष्मा (tuberculosis)
- सूखी खांसी (dry cough)
- पेट फूलना (abdominal distension)
- हिचकी (hiccough)
इनके अलावा सुतशेखर रस का उपयोग अपच (Indigestion), बुखार (fever), गले में खराश (sore throat), पेप्टिक अल्सर, गैस्ट्राइटिस, आक्षेप (convulsion) आदि में भी किया जाता है।
सूतशेखर रस सेवन विधि तथा मात्रा
- 125 से 250 मिलीग्राम या 1 से 2 सूतशेखर रस टैबलेट सुबह शाम भोजन से पहले या बाद में।
- अनुपान: सूतशेखर रस को मधु (शहद), सर्पी (घी), शर्बत या गुनगुने पानी के साथ लेने पर अधिक प्रभावकारी होता है।
- इस दवा को केवल डॉक्टर के मार्गदर्शन में ही लें। दवा के स्वप्रशासन की सलाह नहीं दी जाती है।
सूतशेखर रस के फायदे : Sutshekhar Ras Benefits in Hindi
सुतशेखर रस को अम्लपित्त (Hyperacidity), अपच, पेट में दर्द और जलन, मंदाग्नि, GERD, Acid reflux, पेट फूलना, अतिसार आदि रोगों में व्यापक रूप से उपयोग में लाया जाता है।
सुतशेखर रस का मुख्य कार्य पित्त शमन है, सुतशेखर रस के घटकों में तिक्त कषाय और मधुर रस के गुण होते हैं जो पित्त शामक होते हैं, ये पित्त दोष की अम्लीय प्रकृति को बेअसर करने में मदद करते हैं।
यह अपने तिक्त कषाय और मधुर गुणों से विकृत पित्तदोष तीक्ष्णता को शांत कर अम्लपित्त के लक्षणों को दूर करता है।
Sutshekhar Ras in Hindi: Sutshekhar Ras ke fayde
अम्लपित्त (हाइपरएसिडिटी) में फायदेमंद
अमलपित्त, विरुद्ध आहार (अस्वास्थ्यकर जीवन शैली) के कारण पित्त के बढ़े हुए अम्लभाव (अतिरिक्त अम्लीयता) को संदर्भित करता है, जिसके परिणामस्वरूप मंदाग्नि और आम (अपचित भोजन का विषाक्त प्रभाव) का निर्माण होता है। अम्लपित्त को आधुनिक में एसिडिटी, जीईआरडी से जोड़ा जा सकता है।
सुतशेखर रस पित्त दोष पर कार्य करता है और अम्लपित्त के लक्षणों को कम करता है। चूंकि इसमें कषाय, मधुर और तिक्त रस होता है जो पित्त को शांत करने वाला होता है जिसके परिणामस्वरूप पित्त समन होता है।
इस औषधि में धतूरा, टंकण, शंख भस्म और लौह भस्म जैसे तत्व होते हैं जो आमाशय के पीएच को संतुलित करने में मदद करते हैं4Kumar, Ajay & Singhal, Tina. (2018). SCIENTIFIC EXPLANATION OF MODE OF ACTION OF SUTSHEKHAR RAS IN AMLAPITTA WITH SPECIAL REFERENCE TO ACID PEPTIC DISORDERS: A REVIEW. International Journal of Research in Ayurveda and Pharmacy. 9. 47-49. 10.7897/2277-4343.095154।
अतः यह न केवल अमलापित्त बल्कि अन्य रोगों जैसे- बुखार (fever), Esophagitis (ग्रासनलीशोथ), जलन (दाह रोग), गुल्म (abdominal lump), अतिसार (diarrhea) आदि में भी लाभकारी है5PROBABLE MODE OF ACTION OF SUTSHEKHAR RASA– A CRITICAL REVIEW, Vd. Sujata J. Laddha*, Vd. Vishal Sureka and Vd. Pradnya S. Swan।
एक केस रिपोर्ट अम्लपित्त (हाइपरएसिडिटी) के प्रबंधन में सुतशेखर रस, अविपत्तिकर चूर्ण और द्राक्षावलेह की प्रभावशीलता को दर्शाती है6Divya Singh Charan et al: Ayurvedic Management Of Amlapitta (Gastritis) – A Case Report. International Ayurvedic Medical Journal {online} 2021 {cited October 2021} Available from: http://www.iamj.in/posts/images/upload/2609_2614.pdf।
भूख में कमी और अपच में फायदेमंद
सूतशेखर रस में अग्निदीपन और आमपाचन के गुण होते हैं। जो विकृत पित्त और मंदाग्नि को ठीक करते हैं जिसके परिणामस्वरूप भूख और पाचन क्रिया में सुधार होता है।
इसके अलावा यह Gastritis (पेट की परत की सूजन), Stomatitis (मुंह के अंदरूनी हिस्से में सूजन) आदि में व्रण रोपण (घाव भरने) का कार्य करता है।
सिर दर्द और माइग्रेन सिरदर्द में फायदेमंद
सिरदर्द, नींद न आना (insomnia), और अत्यधिक प्यास पित्त दोष की बढ़ी हुई (खराब) अवस्था के सामान्य लक्षण हैं।
सिरदर्द, चक्कर आना, नींद न आना और पित्त के विकृत होने के कारण अधिक प्यास लगना जैसे लक्षणों में सुतशेखर रस को चंद्रपुटी प्रवाल और गिलोय सत्व के साथ दिया जाता है7Ayurved Sarsamgraha, Rasa Rasayana Prakarana, Sutshekhar Ras No.1 (Svarna Yukta)।
कष्टार्तव (प्राथमिक डिसमेनोरिया) में फायदेमंद
सुतशेखर रस पीरियड्स खुलकर न आने और अथवा दर्द के साथ आने में फायदे मंद है। यह मासिकधर्म के समय पेट के निचले हिस्से में बार-बार होने वाले दर्द (primary dysmenorrhea), मासिक धर्म से जुडे सिरदर्द और कमजोरी के लिए भी फायदेमंद है।
इस प्रकार यह प्राथमिक कष्टार्तव (primary dysmenorrhea) में लाभदायक है।
कामदुधा रस और सुतशेखर रस में अंतर – Kamdudha ras vs Sutshekhar in Hindi
कामदुधा रस पूरी तरह से एक हर्बल तैयारी है जबकि सूतशेखर रस में हर्बल सामग्री साथ धातु मूल जैसे लोहे की भस्म और खनिज मूल के तत्व जैसे शंख भस्म शामिल हैं।
कामदुधा रस का उपयोग आमतौर पर अम्लपित्त प्रारंभिक अवस्था में किया जाता है जबकि सूतशेखर रस का उपयोग तब किया जाता है जब आम निर्माण (अपचित भोजन का विषाक्त प्रभाव) के लक्षण और दर्द (दीर्घकालिक अम्लपित्त) होता है।
कभी-कभी कामदुधा रस को सूतशेखर रस के साथ अम्लपित्त चिकित्सा में प्रशासित किया जाता है।
गुर्दे की दुर्बलता में आमतौर पर धात्विक अवयवों वाली रसौषधियाँ जैसे – सूतशेखर रस नहीं दी जाती हैं। जब आवश्यक हो, सख्त चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत ही दिया जाता है।
सूतशेखर रस के नुकसान : Sutshekhar Ras Side Effects in Hindi
- सूतशेखर रस के उपयोग से जुड़े दुष्प्रभाव अज्ञात हैं। हालांकि, इस दवा का इस्तेमाल केवल डॉक्टरों के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिए।
- यह औषधि ज्यादातर लोगों द्वारा अच्छी तरह से सहन की जाती है, लेकिन यह सलाह दी जाती है कि इस दवा का उपयोग अधिक लंबे समय तक न करें।
- स्व-दवा और अधिक खुराक अस्वास्थ्यकर साबित हो सकती है।
- यदि आपको गुर्दे की दुर्बलता है तो आपको इस दवा से बचना चाहिए। ऐसे मामलों में, कामदुधा रस जैसे विकल्प प्रदान किए जा सकते हैं जो एक पूर्ण हर्बल औषधि है।
- गर्भावस्था और बच्चों में इस दवा के प्रयोग से बचना चाहिए।
References
- 1योगरत्नाकर, अम्लपित्त चिकित्सा अध्याय, सूतशेखर रस
- 2भैषज्यरत्नावली, ज्वर चिकित्सा अध्याय, सीतारी रस
- 3Sharma, Karunanidhi & Kumar, Sanjay & Paul, Vd & Swami, Kanchan & Rajput, Dhirajsingh. (2019). Critical Review Of Sootashekhara Rasa
- 4Kumar, Ajay & Singhal, Tina. (2018). SCIENTIFIC EXPLANATION OF MODE OF ACTION OF SUTSHEKHAR RAS IN AMLAPITTA WITH SPECIAL REFERENCE TO ACID PEPTIC DISORDERS: A REVIEW. International Journal of Research in Ayurveda and Pharmacy. 9. 47-49. 10.7897/2277-4343.095154
- 5PROBABLE MODE OF ACTION OF SUTSHEKHAR RASA– A CRITICAL REVIEW, Vd. Sujata J. Laddha*, Vd. Vishal Sureka and Vd. Pradnya S. Swan
- 6Divya Singh Charan et al: Ayurvedic Management Of Amlapitta (Gastritis) – A Case Report. International Ayurvedic Medical Journal {online} 2021 {cited October 2021} Available from: http://www.iamj.in/posts/images/upload/2609_2614.pdf
- 7Ayurved Sarsamgraha, Rasa Rasayana Prakarana, Sutshekhar Ras No.1 (Svarna Yukta)