आयुर्वेद में रस औषधियों को उनकी प्रभावशीलता के लिए जाना जाता है ये औषधियां सूक्ष्म स्रोतसों में जाकर दोषों को शांत कर रोग को दूर करती हैं। कामदुधा रस (Kamdudha Ras) एक आयुर्वेदिक रस औषधि है, यह एक प्रकार का खरलीय रसायन है। कामदुधा रस औषधि पारद व गंधक रहित होती है लेकिन फिर भी इसे रस औषधि कहते हैं।
यह मुख्य रूप से पित्त शामक होती है इसलिए सभी प्रकार के पित्तज व्याधियों में इसका प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद में कामदुधा रस को पित्त शामक, शीतवीर्यात्मक और रक्तस्तम्भक बताया गया है।
कामदुधा रस शीत वीर्य तथा पित्त शामक होने से आयुर्वेद में इसका प्रयोग प्रमुख रूप से पित्तज व्याधि जैसे- रक्तपित्त, अम्लपित्त, उन्माद, पित्त प्रधान सिरदर्द, पित्तज और रक्त अतिसार में किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसका प्रयोग दाह तथा पित्तज ज्वर में भी बताया गया है।
रक्तस्तम्भक गुण के कारण यह रक्त स्राव को रोकने में मदद करता है। रक्त स्राव जैसे- नाक से खून आना योनि रक्तस्राव, गुदा रक्तस्राव, लिंग से होने वाले रक्तस्राव मैं इस रस औषधि का प्रयोग विशेष रूप से प्रभावी है।
इसके अतिरिक्त इसका प्रयोग मूत्रविकार जैसे मूत्रघात, मूत्रकृच्छ, रक्तमेह आदि रोगों में भी किया जाता है।
कामदुधा रस का वर्णन आयुर्वेद सार संग्रह और रस योग सागर में मिलता है।
कामदुधा रस के प्रकार (आयुर्वेद सार संग्रह)
आयुर्वेद सार संग्रह में दो प्रकार के कामदुधा रस का उल्लेख किया गया है
- कामदुधा रस साधारण (जिसे कामदुधा रस द्वितीय भी कहते हें)
- कामदुधा रस मुक्तायुक्त (जिसे कामदुधा रस तृतीय भी कहते हें)
कामदुधा रस के प्रकार (रस योग सागर)
रस योग सागर में तीन प्रकार के कमदूधा रस का वर्णन किया गया है।
- कामदुधा रस (प्रथम)
- कामदुधा रस द्वितीय (साधारण)
- कामदुधा रस तृतीय (मुक्तायुक्त
वर्तमान समय में कामदुधा रस तृतीय (मुक्ता युक्त) का अधिक प्रयोग किया जाता है जिसका आगे विस्तार से वर्णन किया जाएगा। इसमें अधिक घटक द्रव्य होते हैं जो की अधिक गुणों युक्त होता है।
कामदुधा रस के घटक, Kamdudha Ras Ingredients/Content
कामदुधा रस प्रथम
घटक: सुवर्णगैरिक तथा आँवला स्वरस
बनाने की विधि
सर्वप्रथम स्वर्ण गैरिक को मध्यम अग्नि पर गर्म करते हें, इसके पश्चात खरल में लेकर आँवला स्वरस की २१ भावना देते हें। अंत में प्राप्त रसौषधि को सुखाकर बारीक चूर्ण का मिश्रण प्राप्त करते हें।
कामदुधा रस द्वितीय (साधारण)
घटक:
- गडूची सत्व 1 पल
- स्वर्णगैरिक 1 तोला
- अभ्रक भस्म 1 तोला
बनाने की विधि
उपरोक्त सभी घटक द्रव्यों को मिलकर एक खरल में मर्दन करते हें तथा बारीक चूर्ण का मिश्रण प्राप्त होने तक मर्दन करते हें। इस प्रकर अंत में कमदूधा रसौषधि को प्राप्त कर सुरक्षित रख देते हें।
कामदुधा रस (मोती युक्त) घटक, Kamdudha ras moti yukt Ingredients in hindi
- मुक्ता भस्म— यह गुण में स्निग्ध, शीत वीर्य, त्रिदोष शामक तथा पित्त का शमन करने वाली है। यह अरुचि को दूर करती है जठराग्नि को बड़ाती है, शूल, हृद्रोग तथा श्वास रोग में उपयोगी है।
- प्रवाल भस्म— यह गुण में लघु, शीत वीर्य, मधुर विपाक, त्रिदोष शामक तथा पित्त शामक होती है। मंदाग्नि नाशक,नेत्रों के लिये हितकर, बलवर्धक तथा रक्तपित्त, नेत्र रोग आदि में उपयोगी है।
- मुक्तशुक्ति भस्म— यह शीत वीर्य तथा मधुर विपाक गुणो युक्त होती है जो अग्निदीपन, शूल तथा हृद्रोग, श्वास आदि में हितकर है।
- कपर्दिका भस्म— यह मंदाग्नि तथा शूल को दूर करती है, नेत्रों में हितकर तथा वात-कफ शामक है।
- शंख भस्म— यह शीत वीर्य, विपाक में मधुर होती है। नेत्रों के लिए हितकर, बलवर्धक तथा शूलनाशक होती है।
- स्वर्ण गैरिक— यह शीत वीर्य, रक्तस्तम्भक, नेत्रों की जलन शांत करने वाला, पित्त को शांत करता है तथा रक्तपित्त, रक्त प्रदर (Metrorrhagia), ज्वर, खुजलीम, मुखपाक आदि में फायदेमंद है।
- गुडूची (गिलोय) सत्व— गिलोय अथवा गुडूची गुण में उष्ण वीर्य, विपाक में मधुर, अनुलोमन तथा त्रिदोष शामक होती है। यह एक रसायन है जो रक्तशोधक, ज्वर, प्रमेह (diabetes) आदि रोगों में उपयोगी है।
बनाने की विधि
उपरोक्त सभी द्रव्यों समान मात्रा में लेकर, मिलाकर खरल में बारीक चूर्ण का मिश्रण प्राप्त होने तक मर्दन करते हें इस प्रकर प्राप्त कमदूधा रसौषधि को सुरक्षित रख देते हें।
कामदुधा रस सेवन विधि व सेवन मात्रा (खुराक) kamdudha ras dosage
- 1 से 2 रत्ती या 125 से 250 मिलीग्राम दिन में दो बार भोजन के पश्चात मिश्री/जीरा चूर्ण/आमलकी चूर्ण, घी या उचित अनुपान (Adjuvant) के साथ अथवा आयुर्वेदिक चिकित्सक के निर्देशानुसार।
- कामदुधा रस टैबलेट 1 से 2 टैबलेट सुबह शाम भोजनोपरांत।
- कामदुधा रस कामदुधा रस टैबलेट/चूर्ण विभिन्न आयुर्वेदिक फार्मेसियों द्वारा उपलब्ध है।
विभिन्न रोगों में कामदुधा रस का अनुपान – Adjuvants for Kamdudha Ras in different diseases
- रक्त पित्त में दूर्वा स्वरस या शर्बत अनार याफिर आँवला मुरब्बा के साथ।
- अम्लपित्त में सूतशेखर रस के साथ आँवला स्वरस या घी के साथ दिया जाता है।
- उन्माद रोग में ब्राह्मी चूर्ण या शंखपुष्पी चूर्ण दोनों को मिलाकर मिश्री के साथ देना चाहिए।
- सिर में दर्द तथा जलन, आँखें लाल होना आदि लक्षणों में कामदुधा रस को मक्खन के साथ
- यह दवा केवल चिकित्सकीय देखरेख में ली जानी चाहिए।
कामदुधा रस चिकित्सीय उपयोग, Kamdudha Ras Uses in Hindi
आयुर्वेद सार संग्रह के अनुसार कामदुधा रस का प्रयोग निम्नलिखित रोगों में किया जाता है:
Kamdudha Ras moti Yukta Uses in Hindi
- पित्तज व्याधि (Pitta disorders)
- रक्तपित्त (Bleeding disorsers)
- अम्लपित्त (Hyperacidity/Acid Peptic Disorder)
- पित्तज और रक्त अतिसार (Bleeding diarrhea)
- पित्तज प्रमेह (Diabeties)
- अर्श रोग या बवासीर (piles or Hemorrhoids)
- मूत्र विकार (Urinary system disorders)
- बार-बार चक्कर आना (vertigo) या बेहोश (fainting) होना
- शिर शूल (Headache)
- दिमाग की कमजोरी (Brain weakness)
- क्षय रोग (Tuberculosis)
- काली खांसी (wooping cough)
- दाह (Burning sensation) और जीर्ण ज्वर (chronic fever)
- उरः क्षत या क्षतक्षीण (Chest trauma)
- दमा (Bronchial asthma)
- पागलपन उन्माद (Mania)
- अपस्मार (Epilepsy)
- रक्त प्रदर (Metoragia)
- आमाशय दुर्बलता (weak stomach)
- प्लीहा वृद्धि (Splenomegali) व यकृत वृद्धि (hepatomegali)
- उर्ध्ङ्ग वायु, मूर्छा (Fainting) और भ्रम (Confusion)
इनके अलावा कामदुधा रस का उपयोग अम्लपित्त (Acid Peptic Disorder), मुखपाक (Stomatitis/Aphthus Ulcer) 1Clinical Trials Of Kamdudha Vati In Mukhapak Nilakshi Pradhan Ayurlog: National Journal of Research in Ayurved Science-2014; 3(1): 1-6, पेट का अल्सर (Pepticulcer), प्रदर (अत्यधिक योनि स्राव), नाक, मूत्रमार्ग, मलाशय से रक्त स्राव हथेलियों आँखों, पेशाब, और तलवों में जलन व सभी प्रकार के पित्तज विकारों में अत्यंत प्रभावी है।
कामदुधा रस के फायदे, Kamdudha Ras Uses, Benefits in hindi
कामदुधा रस का मुख्य कार्य पित्त शमन है यह एंटीइन्फ्लेमेटरी, शीतवीर्य (प्रकृति में ठंडा) रक्तस्तंभक तथा व्रणरोपण (घाव भरने में सहायक) है। इसकी क्रिया पाचन तंत्र को मजबूत करती है तथा बड़े हुए पित्त दोष को शांत करती है।
यह जलन को दूर करता है। शरीर में आयरन तथा शरीर में कैल्शियम की कमी, कमजोरी आदि को दूर करता है।
हाइपरएसिडिटी, पेप्टिक अल्सर, स्टामाटाइटिस, गैस्ट्राइटिस आदि विकारों में इसे पसंद की दवा माना जाता है। इसके अलावा, यह आमाशय अल्सर के उपचार को बढ़ावा देता है और दर्द, सूजन, साथ ही जलन से राहत देता है।
रक्तपित्त में फायदेमंद
यह रक्त स्राव सम्बन्धी रोग (bleeding disoredrs) है। इसमें पित्त प्रकोप से रक्त के दूषित हो जाने से ऊपरी (मुँह, नाक) अथवा नीचे (योनि, गुदा) के मार्गों से रक्त का स्राव होता है। कमजोरी, रक्तस्राव (bleeding), जलन (burning sensation), ज्वर, अम्लपित्त (acidity), सिरदर्द, मूत्र जलन आदि रक्तपित्त के लक्षण हें।
कमदूधा रस रक्तपित्त में अत्यंत लाभकारी बताया गया है। यह शीत वीर्य होने से पित्त को शांत करता है, जलन, अम्लपित्त को दूर करता है तथा रक्तस्तम्भक होने से रक्तस्राव को रोकता है2A REVIEW STUDY OF THE ROLE OF KAMDUDHA RAS IN MAHASTROTASA VYADHI *Dr. Vasavi Totawar (Madurwar) and Dr. Mukund Dive and Dr. Sneha Kubde।
कामदुधा रस को दूर्वा स्वरस या शर्बत अनार याफिर आँवला मुरब्बा के साथ रक्त में दिया जाता है इससे यह शीघ्र लक्षणों को कम करता है।
अम्ल पित्त में फायदेमंद
पित्त प्रकोप के कारण आमाशय में अधिक अम्लता होना अम्लपित्त (hyperacidity) कहलाता है। इसे आधुनिक में एसिडिटी कहते हें। पेट में जलन, खट्टी डकारें, पेट में अल्सर (stomach ulcer) आदि इसके लक्षण हें।
कामदुधा रस अम्ल-पित्त के लिए एक श्रेष्ठ औषधि है। यह पित्त शामक व शीत वीर्य प्रधान होने से पित्त की तीक्ष्णता को दूर करती है साथ ही जलन, अल्सर को ठीक करती है। एक आधुनिक अध्यन भी अम्ल पित्त में इसकी प्रभावकारिता का समर्थन करता है3Meenakshi, Khapre, et al. “Effectiveness of Ayurveda treatment in Urdhwaga Amlapitta: A clinical evaluation.” Journal of Ayurveda and integrative medicine 12.1 (2021): 87-92.।
इसमें गेरू होता है जो पित्त शामक तथा रक्त स्तम्भक होता है और पित्त स्राव को कम करता है। इसके अतिरिक्त इसमें सुधा वर्ग के द्रव्य होते हें जो आमाशय में बड़ेहुए अम्ल को बेअसर (neutrilize) करने में मदद करते हें।
अम्लपित्त में कमदूधा रस को सूतशेखर रस के साथ आँवला स्वरस या घी के साथ दिया जाता है।
एक नैदानिक परीक्षण में, कामदुधा रस, अविपत्तिकर चूर्ण, गिलोय सत्व, और शंख भस्म का उपयोग अम्लपित्त (एसिडिटि) के मध्यम से गंभीर लक्षणों वाले रोगियों के सफलतापूर्वक इलाज के लिए किया गया4Meenakshi K, Vinteshwari N, Minaxi J, Vartika S. Effectiveness of Ayurveda treatment in Urdhwaga Amlapitta: A clinical evaluation. J Ayurveda Integr Med. 2021 Jan-Mar;12(1):87-92. doi: 10.1016/j.jaim.2020.12.004. Epub 2021 Feb 3. PMID: 33546994; PMCID: PMC8039346.। यह अध्ययन AIIMS ऋषिकेश, उत्तराखंड के सहयोग द्वारा संपन्न किया गया।
अतिसार में फायदेमंद
रक्त व पित्तज अतिसार में छोटी तथा बड़ी आँतों में क्षोभ (हलचल या अनियमितता) उत्पन्न होने के कारण मल प्रवृति के समय रक्त मिश्रित पतला मल आता है। पेट में जलन, प्यास, तथा जलन के साथ दस्त आना आदि इसके लक्षण होते हें।
कमदूधा रस की पित्त शमन, शीतवीर्य, स्तमभन तथा क्षोभ नाशक क्रिया आँतों में क्षोभ को कम करके पित्तज व रक्तज अतिसार को दूर करती है।
मासिक धर्म रक्तस्राव को रोकने में उपयोगी
रक्त प्रदर को आधुनिक में मेनोरेजिया कहते हें, यह मासिक धर्म के दौरान अधिक व अनियमित रक्तस्राव की स्थिति है।
कमदूधा रस का स्तमभन गुण रक्त स्राव को रोकने में मदद करता है इसलिए यह मेनोरेजिया (मासिक धर्म के दौरान भारी रक्तस्राव) को रोकने में मदद करता है।
उन्माद रोग में फायदेमंद
पित्तज उन्माद में कामदुधा रस को ब्राह्मी चूर्ण या शंखपुष्पी चूर्ण में मिलाकर मिश्री के साथ देने का विधान है। इसके साथ-साथ महाचंदनादि तेल की मालिश बताई गयी है।
पित्त प्रधान सिरदर्द में फायदेमंद
अधिक धूप में रहने के कारण, अधिक मानसिक श्रम आदि से तथा पित्त दोष के बढ़ जाने से सिर में दर्द तथा जलन, आँखें लाल होना आदि लक्षणों में कामदुधा रस को मक्खन के साथ सेवन करना फायदेमंद बताया गया है।
कामदुधा रस के नुकसान – Kamdudha Ras Side Effects in Hindi
- कामदुधा रस से जुड़ा का कोई महत्वपूर्ण ज्ञात नुकसान नहीं है। आम तौर पर, यह अधिकांश व्यक्तियों द्वारा अच्छी तरह से अवशोषित और सहन किया जाता है। हालांकि, इसे केवल चिकित्सकीय देखरेख में लेने की सलाह दी जाती है।
- एक गलत खुराक या अत्यधिक खुराक से असुविधा के साथ-साथ प्रतिकूल प्रभाव भी हो सकते हैं।
- यदि आप बच्चों या गर्भवती महिलाओं के लिए इस दवा पर विचार कर रहे हैं, तो आपको पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
कामदुधा रस और सूतशेखर रस में अंतर: Kamdudha Ras vs Sutshekhar Ras in Hindi
अम्लपित्त (हाइपरएसिडिटी) के उपचार के लिए नैदानिक अभ्यास में कामदुधा रस और सूतशेखर रस दोनों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। भले ही दोनों एक ही उद्देश्य को पूरा करने के लिए काम करते हैं, लेकिन रचना और उपयोग के मामले में थोड़ा अंतर है।
- कामदुधा रस और सूतशेखर रस दोनों खरलीय रसायन हैं। कामदुधा रस में पारद (शुद्ध पारा) नहीं होता जबकि सुतशेखर रस में पारद होता है।
- कामदुधा रस का उपयोग अम्लपित्त (हाइपरएसिडिटी) और संबंधित लक्षणों जैसे जलन के इलाज के लिए किया जाता है, जबकि सूतशेखर का उपयोग अम्लपित्त (हाइपरएसिडिटी) के लक्षणों के साथ मंदाग्नि और आम (अनपचा भोजन जो विषाक्त प्रभाव दिखाता है) बनने के लक्षणों के लिए किया जाता है।
- सरल शब्दों में कामदुधा रस का प्रयोग तीव्र अवस्था में किया जाता है और सुतशेखर का प्रयोग अधिक जीर्ण अवस्था में किया जाता है।
References
- 1Clinical Trials Of Kamdudha Vati In Mukhapak Nilakshi Pradhan Ayurlog: National Journal of Research in Ayurved Science-2014; 3(1): 1-6
- 2A REVIEW STUDY OF THE ROLE OF KAMDUDHA RAS IN MAHASTROTASA VYADHI *Dr. Vasavi Totawar (Madurwar) and Dr. Mukund Dive and Dr. Sneha Kubde
- 3Meenakshi, Khapre, et al. “Effectiveness of Ayurveda treatment in Urdhwaga Amlapitta: A clinical evaluation.” Journal of Ayurveda and integrative medicine 12.1 (2021): 87-92.
- 4Meenakshi K, Vinteshwari N, Minaxi J, Vartika S. Effectiveness of Ayurveda treatment in Urdhwaga Amlapitta: A clinical evaluation. J Ayurveda Integr Med. 2021 Jan-Mar;12(1):87-92. doi: 10.1016/j.jaim.2020.12.004. Epub 2021 Feb 3. PMID: 33546994; PMCID: PMC8039346.