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Vasavaleha Uses, Benefits in Hindi: वासावलेह के फायदे और नुकसान

Vasavaleha uses, benefits Ayurveda

वासावलेह क्या है? What is Vasavaleha in Hindi

वासावलेह एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो पांच प्रकार के प्राकृतिक घटक द्रव्यों से मिलकर बनाई जाती है। आयुर्वेद में इसका उपयोग मुख्य रूप से दमा (Asthma) ,क्षय रोग (Tuberculosis), कास (chronic bronchitis), आदि श्वसन प्रणाली से संबंधी बीमारियों में किया जाता है।

वासावलेह का मुख्य घटक द्रव्य वसा है जो कि एक औषधीय पौधा है। इसका उपयोग मुख्य रूप से श्वास, कास, राज्यक्षमा (Tuberculosis) जिसे क्षय रोग भी कहते हैं, आदि में किया जाता है। वासा मुख्य रूप से हमारी श्वसन प्रणाली पर काम करता है, तथा हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

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यह हमारी शारीरिक क्रियाओं को नियमित करता है, तथा क्षय रोग (Tuberculosis) का नाश करता है। इसके अतिरिक्त हमारी श्वसननलिकाओं का प्रसार करता है, जिससे दम फूलना जैसी समस्या दूर हो जाती है।

वासा क्या है? What is the Vasa in Hindi

वासा एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है,जिसे हिंदी में अडूसा भी कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम Adhatoda vasica है। यह वासा कुल में आता है। आयुर्वेद में वासा का उपयोग विभिन्न प्रकार की व्याधियों मुख्य रूप से दमा (Asthma), क्षय रोग (Tuberculosis) श्वास – कास, क्षय रोग, मूत्र विकार आदि अनेक प्रकार की व्याधियों में उपयोगी बताया गया है।

अवलेह क्या है? What is Avaleha in Hindi

आयुर्वेद में अवलेह का अर्थ होता है, जिसे चाट कर खाया जा सके, अतः औषधियां जिन्हें चाट कर खाया जा सकता है उन्हें अवलेह कहते हैं। वासावलेह को भी चाट कर खाया जा सकता है, इसलिए इसको अवलेह कहा गया है। अवलेह के अन्य उदाहरण हें-चवनप्राशावलेह, जिसको चवनप्राश भी कहते हैं, इसको भी चाट कर खाया जा सकता है, इसलिए यह भी एक अवलेह है।

वासावलेह के फायदे Vasavaleha Benefits in Hindi

अस्थमा में उपयोगी, Vasavaleha benefits in bronchial Asthma in Hindi

ब्रोन्कियल अस्थमा (दमा) को आयुर्वेद में तमक श्वास से संहबद्ध कर समझा जा सकता है। यह एक चिरकारी श्वसन मार्ग संबंधी विकारों में से एक है जो कि सालाना कई लोगो की मृत्यु का कारण है। बढ़ता हुआ प्रदूषण इसका मुख्य कारण है।

आयुर्वेद के अनुसार तमक श्वास का मुख्य कारण स्रोतो अवरोध (obstruction of lung channels) है। जिसके कारण वात तथा कफ दोष कुपित हो जाते हें तथा प्रतिलोम गति कर तमक श्वास उत्पन्न करते हें।

वासावलेह का निरंतर सेवन करने से यह दमा (Bronchial Asthma) जैसी भयावह बीमारी का नाश करता है। यह मुख्य रूप से हमारी श्वसन प्रणाली पर कार्य करता है, तथा श्वासन नलिकाओं का प्रसार करता है। जिससे दम फूलना जैसी समस्या दूर हो जाती है। इसके साथ ही यह आपके फेफड़ों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और श्वसन क्रिया में सुधार करता है।

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आधुनिक अध्ययन द्वारा भी यह सत्यापित है कि वासावलेह बिना किसी साइड इफैक्ट के तमक श्वास (bronchial Asthma) के उपचार में प्रभावी है1Paneliya, Ankit M et al. “Efficacy of Vasa Avaleha and its granules on Tamaka Shwasa (bronchial asthma): Open-label randomized clinical study.” Ayu vol. 36,3 (2015): 271-7. doi:10.4103/0974-8520.182760

कास (खांसी) में उपयोगी, Vasavaleha benefits for Cough Hindi

वासावलेह एक अच्छा कफ निस्सारक है इसलिए इसका प्रयोग का उपयोग सभी प्रकार की खांसी में किया जा सकता है। चिरकारी खांसी (Chronic Cough) को भी यह दूर करने में उपयोगी है। इसके अतिरिक्त यह दमा (Asthma), क्षयरोग (Tuberculosis) जैसी बीमारियों में होने वाली खांसी में भी फायदेमंद है।

वासावलेह का उपयोग बच्चों में भी कुकुर खांसी आथवा काली खांसी को दूर करने के लिए भी किया जाता है।
एक नैदानिक अध्ययन के मुताबिक वासावलेह कास रोग (chronic bronchitis) में प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है2Suryavanshi, Milind & Meena, Hari & Babu, Gajji & Yadav, Babita & Chaudhary, Shweta & Namburi, Uday & Bhatnagar, Anu & Varanasi, Subhose & Khanduri, Shruti & Sharma, Bhagwan & Rana, Rakesh. (2017). Clinical Efficacy and Safety of “Vasavaleha” in the Management of Stable Chronic Bronchitis: A Prospective Open Label Multicenter Study. Journal of Research in Ayurvedic Sciences. 1. 231-237. 10.5005/jp-journals-10064-0023.

क्षय रोग में उपयोगी, Vasavaleha benefits in tubercluosis in Hindi

आयुर्वेद में टीबी को क्षयरोग अथवा राजयक्ष्मा कहते हें, यह भी एक गंभीर चिरकारी श्वसन संबंधी रोग है। आयुर्वेद में वासावलेह को क्षयरोग (Tuberculosis) जैसी बीमारी में सर्वाधिक उपयोगी बताया गया है। टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है। जिससे अत्यधिक मात्रा में खांसी, सांस लेने में कठिनाई इत्यादि लक्षण उत्पन्न होते हैं। वासावलेह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ शरीर से टीबी जैसी भयावह बीमारी को दूर करने में उपयोगी है।

श्वसनी शोथ में उपियोगी, Vasavaleha benefits in bronchitis in Hindi

श्वसनी शोथ (bronchitis) आम तौर पर वाइरस, बैक्टीरिया के संक्रमण से अथवा अत्यधिक प्रदूषण (धूल इत्यादि) में सांस लेने के कारण होती है। जिससे फेफड़ों तथा श्वास नलिकाओं मे सूजन आ जाती है। इसमें व्यक्ति की ऑक्सीजन लेने की क्षमता कम हो जाती है, और सांस फूलना खांसी से जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। वासा अवलेह श्वास-कास आदि में उपयोगी होने के कारण श्वसनी शोथ में भी फायदेमंद है।

वसावलेह और इसके कई औषधीय उत्पाद ऑनलाइन खरीदने के लिए उपलब्ध हैं।

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वासावलेह के अन्य फायदे

  • वासावलेह खाँसी, दमा (Asthma), श्वसनी शोथ (bronchitis), रक्तपित्त (Bleeding disorder), राजयक्ष्मा (Tuberculosis), रक्तप्रदर के साथ-साथ बवासीर (piles), पेट दर्द, रक्तस्राव विकारों और बुखार के उपचार के लिए भी फायदेमंद है।
  • यह श्वसन नलिकाओं का प्रसार करता है, जिसके कारण सांस संबंधी समस्याओं में यह बहुत फायदेमंद है।
  • यह एक रोगाणुरोधी के रूप में भी कार्य करता है जो माइक्रोबियल विकास की संभावना को कम करता है।
  • इनके अतिरिक्त जिन विषम स्थितियों में वसावलेह का संकेत दिया गया है, वे हैं:एनजाइना पेक्टोरिस और पार्श्वशूल (इंटरकोस्टल न्यूराल्जिया और प्लुरोडायनिया)।
  • वासवलेह सामान्य सर्दी खांसी, काली खांसी, पुरानी ब्रोंकाइटिस और अस्थमा में उपयोगी है।
  • वासा के पत्तों का काढ़ा गले में जलन पर शांत प्रभाव डालता है। इसलिए इसे गले की खराश के लिए एक बहुत ही फायदेमंद उपाय माना जाता है।
  • यह साइनसाइटिस, एलर्जिक राइनाइटिस, सीओपीडी के उपचार के लिए भी फायदेमंद है।
  • वासा अवलेह आयुर्वेदिक जड़ी श्वसन व प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने में सहायता करती है।
  • पार्श्ववशूल – पेट के किनारों पर दर्द मैं भी लाभदायक है।
  • हृदय शूल – हृदय का दर्द (छाती क्षेत्र पर दर्द) आदि में लाभकारी है।
  • रक्तपित्त – रक्तस्रावी विकार जैसे नाक बहना, अल्सरेटिव कोलाइटिस और मेनोरेजिया आदि समस्याओं में भी फायदेमंद है।

वासावलेह के घटक द्रव्य, Ingredients of Vasavaleha in hindi

  • वासा के पत्तों का रस (मुख्य घटक )- 768 ग्राम
  • चीनी – 384 ग्राम
  • घी – 96 ग्राम
  • पिप्पली चूर्ण – 96 ग्राम मी
  • शहद – 384 ग्राम

उपरोक्त सभी द्रव्यों में वातानुलोमक, कफवातहर गुण होते हें जो की अच्छे कफ निस्सारक हें, तथा श्वसन नलिकाओं का प्रसार करने के साथ-साथ हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को भी उत्तेजित करते हें।

वासावलेह सेवन विधि, How to take Vasavaleha in Hindi

वासावलेह कैसे लें? सेवन की मात्रा/Recommended Dose

  • 6 – 12 ग्राम गर्म पानी / दूध के साथ या आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा निर्देशित
  • बच्चों के लिए 1.5 ग्राम शहद / दूध के साथ, दिन में 3-4 बार या आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा निर्देशित।
  • वासवलेहा की सविर्यता अवधि निर्माण की तारीख से 3 वर्ष है।
  • वासावलेह का सेवन 4-5 महीने के भीतर करना अच्छा होता है।

वासावलेह का त्रिदोष पर प्रभाव, Vasavaleha effect on Tridosha in hindi

वासावलेह कफ और पित्त दोष को संतुलित करता है।

वासावलेह के नुकसान, Vasavaleha Side effects in Hindi

वासावलेहा को नियमित रूप से लिया जा सकता है, यह सुरक्षित है, और इसका कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं है। हालांकि बहुत अधिक मात्रा में लिया जाता है तो इससे पेट में असुविधा (Discomfort) हो सकती है। मधुमेह के रोगियों को इसे लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

वासावलेह निर्माण विधि, Process of preparing Vasavaleha in Hindi

घटक द्रव्य –

संदर्भ श्लोक —

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वासकस्य रसप्रस्थं माणिका सितशर्करा ।
पिप्पल्या द्विपलं तावत्सर्पिषश्च शनै: पचेत् ॥
तस्मिल्लेहत्वमायाते शीत क्षौद्रपलाष्टकम् ।
दत्त्वाऽवतारयेद्वैद्यो लीडो लेहोऽयमुत्तम: ॥
हन्त्येव राजयक्ष्माणं कासं ह्वासं च दारुणम् ।
पार्श्वशूलं च हृच्छूलं रक्तपित्तं ज्वरं तथा ॥
—भैषज्य रत्नावली

निर्माण विधि—

सबसे पहले वासा के पत्तों से रस निकाला जाता है, तथा उसमें चीनी मिलकर तब तक गर्म किया जाता है ,जब तक कि चासनी प्राप्त न हो जाए। उसके बाद घी और पिप्पली चूर्ण को अच्छी तरह से मिला लिया जाता है। तथा चासनी को चूल्हे से नीचे उतार देते हें । अंत में जब अवलेह को ठंडा हो जाता है, तो शहद मिलाकर एक बर्तन में सुरक्षित कर लिया जाता है। इस प्रकार वासावलेह का निर्माण किया जाता है।

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मुझे उम्मीद है वासावलेह के फायदे और नुकसान के बारे में यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। इस विषय से संबंधित आपके सुझाव और प्रश्न के लिए, मुझे टिप्पणी अनुभाग में बताएं अगर आप इस जानकारी से संतुष्ट हें, तो लेख को शेयर जरूर करें ताकि दूसरों तक भी जानकारी पहुँच सके।

References

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