दूध और उससे बने उत्पादों को प्राचीन वैदिक काल से ही पवित्र माना जाता रहा है। हिंदू संस्कृति में गाय को पूजनीय माना जाता है, क्योंकि यह हमारे शरीर का भरण पोषण करती है। इसके साथ-साथ यह भारतीय अर्थवावस्था का आधार भी रही है।
इनके अतिरिक्त सभी प्रकार के पवित्र तथा पूजनीय कार्यों में गाय का घी तथा दूध सर्वोत्तम प्रयोग होने वाला उत्पाद है। गाय के दूध को संपूर्ण आहार कहा गया है क्योंकि इसमें हमारे शरीर के लिए आवश्यक सभी प्रकार के पोषक तत्व होते हैं।
पंचगव्य के उत्पादों को वैज्ञानिक आधार देने के लिए हाल ही में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रोदयोगिकी मंत्रालय द्वारा एक राष्ट्रीय कार्यक्रम (पंचगव्य पर वैज्ञानिक सत्यापन और अनुसंधान) की घोषणा की गई है।
शतधौत घृत क्या है ? what is Shatadhauta Ghrita in hindi
शतधौत घृत (यानी कि 100 बार धोया गया घी) एक संस्कृत शब्द है, जिसमें शत का अर्थ है 100 तथा धौत का अर्थ है धोया हुआ और घृत का अर्थ है घी, अर्थात सौ बार धोया गया घी, इसे शतधौत घृत कहते हैं।
गाय के घी को 100 बार मथकर धोने से शतधौत घृत बन जाता है। प्राचीन काल में इसे हाथ से मथकर बनाया जाता था लेकिन आज के समय में इसे मशीन में भी बनाया जा सकता है।
इसी तरह का गाय के घी को 1000 बार धोने से सहस्त्र धौत घृत (यानी कि एक हजार बार धोया गया घी) बनता है, जो और भी अधिक गुणकारी होता है।
शतधौत घृत एक आयुर्वेदिक क्रीम है, जिसका प्रयोग मुख्य रूप से त्वचा रोगों के उपचार में किया जाता है।
शतधौत घृत अत्यंत शीतल व कोमल होने से इसका प्रयोग त्वचा विकार जैसे – जलन (Burn), जलन से होने वाले दर्द (Burning Pain) ,घाव (Wound) ,फुंसियाँ ( Pimples), कुष्ठ (skin disorders), झुर्रियां (wrinkles), दाग-धब्बे (scars), एलर्जी की स्थिति, एक्जिमा और मॉस्चरायज़िंग एजेंट के रूप मैं इसका उपयोग प्रभावशाली है।
शतधौत घृत के फायदे, Shatadhauta Ghrita benefits in hindi
त्वचा के लिए फायदेमंद, Shatadhauta Ghrita benefits for skin in hindi
शतधौतघृत गाय के घी से बनता है, अतः इसमें वह सभी गुण होते हैं जो गाय के घी में होते हैं। घी के फायदों के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन यह औषध रूप में त्वचा के लिए भी फायदेमंद है। यह एक प्राकृतिक लोशन है, जिसमें एंटिएजिंग गुण होते हैं। यह एक प्राकृतिक मॉइस्चराइज़र के रूप में त्वचा के लिए फायदेमंद है।
इसका शीत गुण त्वचा को ठंडा रखता है जिससे यह छोटे घाव, त्वचा के जलने आदि में पित्त दोष से उत्पन्न उष्णता (जलन) को शीघ्र शांत करता है। इसका प्रीणन (contentment) गुण धातुवर्धन (increase formation of tissue) में सहायक है जिससे यह क्षतिग्रस्त उत्तक कोशिकाओं के पुनर्निर्माण को सुगम बनाता।
इसका स्निग्ध गुण प्रकुपित वात दोष को शांत करता है जिससे घाव से उत्पन्न दर्द कम हो जाता है। यह पोषण तथा त्वकवर्णप्रसाधन गुण के कारण यह ऊतक की सभी परतों मैं अवशोषित होकर त्वचा को पोषण देकर नरम बनाता है। घी में वसीयअम्ल (Fatty acids) होते हैं, जो सभी प्रकार की त्वचा के लिए प्राकृतिक हाइड्रेटिंग एजेंट के रूप में काम करते हें।
इसके अतिरिक्त शतधौतघृत को छोटे घाव, जलन, जलन में होने वाले दर्द, फोड़े – फुंसी, एग्जिमा, मॉइस्चराइज़र तथा एंटी एजिंग क्रीम के रूप में सामान्य रूप से लगाया जा सकता है।
शतधौतघृत एक आयुर्वेदिक मलहम है जो हमारी त्वचा की सभी परतों मैं अवशोषित होकर त्वचा रोगों को दूर करता है। उपरोक्त सभी गुणों के साथ-साथ शतधौता घृत की घाव भरने की गतिविधि एक नैदानिक अध्ययन में प्रभावी साबित हुई है1Vyas, Kruti & Barve, Mayur & Ravishankar, Basavaiah & Prajapati, Pradeep & Ruknuddin, Galib. (2015). Wound Healing Activity of Shatadhauta Ghrita: An Experimental Evaluation. Inventi Rapid: Ethnopharmacology Vol. 2015, Issue 3. 1-5.।
शतधौत घृत और इसके कई सौंदर्य प्रसाधन उत्पाद ऑनलाइन खरीदने के लिए उपलब्ध हैं।
शतधौत घृत के औषधीय उपयोग-
- शतधौतघृत त्वचा को ठंडक देता है, तथा मामूली जलन, घाव आदि पर लेप लगाने से तुरंत पीड़ा को शांत करता है। इसके अतिरिक्त यह घाव को भरने में भी सहायक है।
- शतधौतघृत पर एक अध्ययन के अनुसार यह शोथहर (anti-inflammatory), एंटि-रिंकल तथा मॉइस्चराइज़र क्रीम के रूप में यह सभी प्रकार की त्वचाओं के लिए उपयोगी है2Agnihotri, Supriya & Agnihotri, Anoop & Tupkari, Suresh. (2009). Shata – Dhauta – Ghrita – A Case Study. Indian journal of traditional knowledge. 8.।
- इसको लगाने से त्वचा में झुर्रियां नहीं आती यह त्वचा को चिकना व नम रखने के साथ-साथ और निखारता भी है।
- इस मलहम का उपयोग करने से मुंहासों (acne) चिकनपॉक्स तथा एग्जिमा आदि से होने वाले निशान दूर हो जाते हैं।
- शोथहर (anti-inflammatory) होने से यह त्वचा की जलन तथा दर्द को दूर करता है।
- शतधौत घृत को डेली त्वचा पर लगाने से यह दाग – धब्बे, काले घेरों, पिंपल्स – रिंकल्स आदि को दूर करता है।
- शतधौतघृत का उपयोग सूखे व फटे होठों पर भी लगाने के लिए किया जाता है, नहाने से पहले इसे त्वचा पर लगाने से यह सूखी त्वचा को दूर करता है।
- शतधौत घृत के कसैले गुण के कारण यह त्वचा के दोषों को संतुलित करने में मदद करता है ।
- शतधौत घृत एरिसिपलस (त्वचा की ऊपरी परत में होने वाला जीवाणु संक्रमण) और हर्पीस (एक संक्रामक रोग जो जननांगो को प्रभावित करता है) को ठीक करने में प्रभावशाली है।
- जिन गर्भवती महिलाओं को रक्तस्राव या ब्लड स्पॉट की समस्या है, तो इसकी नाभि के आसपास हल्की मालिश करना बेहद फायदेमंद है।
- आयुर्वेद में जलौका चिकित्सा (Leech Therapy) में, शतधौतघृत को घाव व जलन को ठीक करने के लिए मलहम के तौर पर लगाया जाता है।
इसके अतिरिक्त शतधौत घृत का उपयोग आयुर्वेद में अन्य कई प्रकार के मलहम बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
त्रिदोष पर प्रभाव-
- शतधौतघृत वात -पित्त दोषों से उत्पन्न विकारों तथा दाह, कुष्ठ आदि का नाश करता है ।
- आयुर्वेद में शतधौतघृत को शोथहर ( anti-inflammatory), शोधन (cleansing) व्रणरोपण (heals the wound) वात – पित्त दोष शामक, मांसरक्तप्रसाधन (Purifies skin and blood) कण्डूनाशक (Relieves itching),अग्निदग्ध (relives burn), पोषण (nourishing) तथा त्वकवर्णप्रसाधन (improves skin health) आदि में उपयोगी बताया गया है।
शतधौतघृत का उपयोग कैसे करें, how to use Shatadhauta Ghrita in Hindi
- शतधौतघृत क्रीम को अंगुली में में लेकर जलन घाव इत्यादि प्रभावित स्थान पर अपनी उंगलियों से हल्के हल्के मालिश करें।
- इसी प्रकार चेहरे पर भी लगाकर कुछ देर बाद में गुनगुने पानी से चेहरे को धोएं।
- सुबह और रात को भी इसे आप अपने चेहरे पर लगा सकते हैं। रात को चेहरेपर लगाने पश्चात गुनगुने पानी से चेहरे को धोना न भूलें ।
शतधौतघृत के नुकसान, Side effects of Shatadhauta Ghrita in Hindi
शतधौत घृत गाय के घी से प्राप्त होने वाला एक प्राकृतिक उत्पाद है, अतः इसका का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है। इसका उपयोग रोजाना प्राकृतिक मॉइश्चराइजर के रूप में त्वचा पर लगाने के लिए किया जा सकता है। यह सभी प्रकार की त्वचा विकारों के लिए फायदेमंद है। शतधौतघृत का प्रयोग केवल बाह्य उपयोग (only for external use) के लिए किया जाना चाहिए।
शतधौत घृत कैसे बनाएं ? How to make Shatadhauta Ghrita in hindi
घटक द्रव्य —
- शुद्ध गाय का घी।
- शुद्ध जल
शतधौत घृत निर्माण विधि —
सबसे पहले एक तांबे बर्तन में 500 ग्राम शुद्ध गाय घी लेते हैं, और उसमें दोगुनी मात्रा में शुद्ध पानी मिलाते हैं, और घी को बर्तन में हाथ से अच्छी तरह लगभग 4 से 5 मिनट तक हाथ से मथते हें (अथवा धोते हैं)। इसके बाद बर्तन के पानी को दूसरे बर्तन में डाल देते हैं। इस तरह 8 से 10 बार मथने पर धोने पर) घी फूलने लगता है, और इसके बाद फूलना बंद हो जाता है। इस तरह बर्तन में घी के ऊपर पानी को डालकर धोने और निथारने की प्रक्रिया को 100 बार दोहराने से शतधौत घृत बन जाता है।
मुझे उम्मीद है शतधौत घृत के फायदे और नुकसान के बारे में यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। इस विषय से संबंधित आपके सुझाव और प्रश्न के लिए, मुझे टिप्पणी अनुभाग में बताएं अगर आप इस जानकारी से संतुष्ट हें, तो लेख को शेयर जरूर करें ताकि दूसरों तक भी जानकारी पहुँच सके।
References
- 1Vyas, Kruti & Barve, Mayur & Ravishankar, Basavaiah & Prajapati, Pradeep & Ruknuddin, Galib. (2015). Wound Healing Activity of Shatadhauta Ghrita: An Experimental Evaluation. Inventi Rapid: Ethnopharmacology Vol. 2015, Issue 3. 1-5.
- 2Agnihotri, Supriya & Agnihotri, Anoop & Tupkari, Suresh. (2009). Shata – Dhauta – Ghrita – A Case Study. Indian journal of traditional knowledge. 8.