महानारायण तेल (Mahanarayan Oil) एक औषधीय आयुर्वेदिक तेल है जिसका वर्णन भैषज्यरत्नावली अध्याय 26 वातव्याधि चिकित्सा में मिलता है। महानारायण तेल का उपयोग मुख्य रूप से वात व्याधि (वात प्रकोप से उत्पन्न होने वाली व्याधि) जैसे- जोड़ो का दर्द, मांस पेशियों का दर्द, सन्धि वात, गठिया, गृधसी, मन्यास्तम्भ, हनुस्तम्भ आदि रोगों में किया जाता है। यह सभी प्रकार के वात रोगों में प्रभावी है।
महानारायण तेल सूजनरोधी और एंटीआर्थराइटिक गुणों युक्त होता है जिससे यह जोड़ो के दर्द व सूजन को कम करता है तथा शरीर को बल देता है1Kumar, Satyendra & Madaan, Alka & Verma, Ritu & Gupta, Arun & Jatavallabhula, Sastry. (2014). In vitro anti-inflammatory effects of Mahanarayan oil formulations using dendritic cells based assay. Annals of Phytomedicine. 3. 40-45.।
आयुर्वेद में महानारायण तेल का उपयोग बाहरी तथा आंतरिक दोनों रूप से किया जाता है। बाहरी रूप से महानारायण तेल का उपयोग अभ्यंग (मालिश करना), स्नेहन कर्म स्वेदन कर्म से पहले तथा पंचकर्म से पहले पूर्व कर्म के रूप में किया जाता है।
महानारायण तेल की मालिश तथा आंतरिक उपयोग भी सभी प्रकार के वात रोगों में प्रभावी है। एक केस अध्ययन में महानारायण तेल ने रीढ़ की हड्डी की चोट के कारण हुयी न्यूरोलॉजिकल न्यूनता (प्रकोप के कारण) में सुधार के महत्वपूर्ण परिणाम प्रदर्शित किए हैं2Rastogi S. Rehabilitative potential of Ayurveda for neurological deficits caused by traumatic spinal cord injury. J Ayurveda Integr Med. 2014 Jan;5(1):56-9. doi: 10.4103/0975-9476.128868. PMID: 24812477; PMCID: PMC4012364.।
महानारायण तेल को 56 प्रकार की जड़ीबूटियों के साथ तिल तेल में पकाकर बनाया जाता है, अर्थात मूल तेल के रूप में तिल तेल का प्रयोग किया जाता है।
महानारायण तेल वात नाशक, बल तथा वीर्य वर्धक, शिरोरोगों को दूर करता है तथा उम्र बढ़ने के लक्षणों को दूर करता है।
महानारायण तेल के घटक, Mahanarayan Tel Ingredients (contents)
महानारायण तेल में तिल तेल के साथ बिल्व, अश्वगंधा, बला, पुनर्नवा, मेदा, दारू हल्दी जैसी 56 जड़ीबूटियाँ होती हें। केसर महंगा होने के कारण हल्दी का उपयोग विकल्प के रूप में किया जाता है।
भैषज्यरत्नावली में वर्णित महानारायण तेल के घटक निम्नलिखित हैं:
द्रव द्रव्य-
- तिल का तेल
- शुद्ध जल
- बकरी या गाय का दूध
- शतावरी (Asparagus Racemosus) का रस
घटक द्रव्य (Ingredients) | Botanical Name |
---|---|
बिल्व (बेल) की छाल | Aegle marmelos |
अश्वगंधा | Withania somnifera |
बृहती (बड़ी कटेरी) | Solanum indicum |
गोक्षुर (गोखरू) | Tribulus Terrestris |
श्योनाक | Oroxylum indicum |
बला | Sida Cordifolia |
पारिभद्र (फरहद) | Erythrina Variegata |
अतिबला (कटेरी) | Abutilon Indicum |
पुनर्नवा | Boerhavia diffusa |
अग्निमंथ (अरणी) | Premna serratifolia |
कंटकारी | Solanum Xanthocarpum |
प्रसारणी | Paederia Foetida |
पाटला की जड़ | Stereospermum Suaveolens |
कल्क द्रव्य (Paste) | Botanical name |
---|---|
रास्ना | Pluchea Lanceolata |
अश्वगंधा | Withania Somnifera |
सौंफ | Foeniculum vulgare |
देवदार (देवदारु) | Cedrus Deodara |
कूठ | Saussurea Lappa (indian costus) |
शालपर्णी | Desmodium Gangeticum |
पृश्निपर्णी (पिठवन) | Uraria Picta |
मुद्गपर्णी | Phaseolus Trilobus |
माषपर्णी | Teramnus Labialis |
अगरू | Aquilaria Agallocha |
नागकेसर | Mesua Ferrea |
सेंधा नमक | Rock Salt (Halite) |
जटामांसी (बालछड़) | Nardostachys Jatamansi |
हल्दी | Curcuma Longa |
दारुहल्दी | Berberis Aristata |
शैलेय | Parmelia Perlata |
लाल चन्दन | Pterocarpus Santalinus (Red Sandalwood) |
पुष्करमूल | Inula Racemosa |
इलायची | Elettaria Cardamomum (Cardamom) |
मंजिष्ठा (मदार, मजीठ) | Rubia Cordifolia |
मुलेठी | Glycyrrhiza Glabra |
तगर | Valeriana Wallichii (Valeriana jatamansi) |
नागरमोथा (मोथा) | Cyperus Rotundus |
तेजपत्र (तेजपत्ता) | Cinnamomum Tamala (Indian Bay Leaf) |
भृंगराज | Eclipta Alba |
अष्टवर्ग (Ashtawarga plants) | Botanical name |
---|---|
जीवक | Microstylis wallichii |
ऋषभक | Malaxis muscifera |
मेदा | Polygonatum verticillatum |
महामेदा | Polygonatum Verticillatum Allioni |
काकोली | Roscoea purpurea |
क्षीर काकोली | Lilium polyphyllum |
ऋद्धि (Riddhi) | Habenaria intermidia |
वृद्धि (Vriddhi) | Habenaria intermedia D |
घटक द्रव्य (Ingredients) | Botanical name |
---|---|
सुगन्धबाला | Pavonia Odorata |
वचा | Acorus Calamus |
पलाश | Butea Monosperma |
गठिवन (ग्रन्थिपर्णी) | Clerodendrum Infortunatum |
सफेद पुनर्नवा | Boerhavia Erecta |
चोरक | Angelica glauca Edgew |
कर्पूर (कपूर) | Cinnamomum camphor |
केसर | Crocus Sativus (Saffron) |
कस्तूरी | Musk |
महानारायण तेल के गुण, Qualities of mahanarayan Oil in Hindi
- रस -कटु, तिक्त
- गुण – लघु, स्निग्ध
- वीर्य – उष्ण
- विपाक – कटु
- दोषघ्नता – वात-कफ शामक
महानारायण तेल बनाने की विधि, Mahanarayan Oil prepration method in Hindi
भैसाजयरत्नावली में वर्णित महानारायण तेल निर्माण विधि इसप्रकार है:
- सबसे पहले बेल की छाल, अश्वगंधा, बड़ी कटेरी आदि औषधियों को 80-80 तोला लेकर 8 द्रोण जल में पकाते हैं. पकाते-पकाते जब दो द्रोण जल शेष बच जाए तब उतारकर छान लेते हैं।
- फिर इस क्वाथ के साथ 2 आढ़क (16 सेर) तिल का तेल, 2 आढ़क बकरी या गाय का दूध एवं 2 आढ़क शतावरी रस तथा अष्टवर्ग की औषधियों सहित अन्य औषधियों के कल्क को 8-8 तो ले मिलाकर तेल को पकाते हैं।
- उत्तम प्रकार से सिद्ध हो जाने पर इसमें सुगंध के लिए कपूर, केसर, कस्तूरी इन सभी द्रव्यों को 4-4 तोला बारीक पीसकर मिला देते हैं. इस प्रकार प्राप्त तेल को महानारायण तेल कहते हैं।
इनके अलावा महानारायण तेल प्रजस्थापन, रसायन , बल्य था बृंहण गुणों युक्त होता है जिससे यह शरीर को बल देता है।
महानारायण तेल का उपयोग, Mahanarayan oil uses in hindi
निम्नलिखित बीमारियों में महनारायण तेल का उपयोग किया जाता है।
Maha Narayan tail uses in hindi
- वात से पीड़ित (neuropathy) अथवा वात व्याधि
- संधिवात (osteoarthritis)
- वातरक्त (gouty arthritis)
- गृध्रसी रोग (sciatica)
- कुब्जता/kyphosis (रीढ़ की हड्डी की वक्रता)।
- अर्दित (facial paralysis)
- उन्माद (mania)
- पंगुत्व/पैराप्लेजिया (शरीर के निचले भाग का लकवा)।
- कम्पवात (पार्किंसन रोग/parkinsion disease
- मन्यास्तम्भ/सर्वाइकल दर्द/torticolis/neck rigidity
- हनुस्तम्भ (lock jaw)
- कंठरोग (throat disorders)
- सिरदर्द (Headache)
- अंगहीन अथवा अपंग (physical disablity)
- दंतशूल अथवा दांत का दर्द (toothache)
- जिह्वा स्तम्भ (glossal palsy)
- क्षीण इंद्रिय (emaciation of indiyas)
- वीर्य क्षय (Oligospermia)
- शिरोरोग से पीड़ित (disease related to head)
- बाधिर्य (deafness)
- स्त्री बंध्यता (female infertility)
- ज्वर से क्षीण शरीर वाले (Emaciated due to fever)
- अनिंद्रा (Insomnia)
- जराजन्य रोग (बुढ़ापे से सम्बंधित रोग)/Geriatric disorders
- स्नायु भग्न (लिगामेंट इंजरी), अस्थि भग्न (Bone fracture) तथा जोड़ो व मांसपेशियो को मजबुत करने के लिए।
- तथा सभी प्रकार के वात रोग (all types of neurological disorders/nerves related disorders)
महानारायण तेल के फायदे (लाभ) तथा उपयोग, Mahanarayan oil benefits in hindi
महानारायण तेल विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों से निर्मित एक आयुर्वेदिक तेल है । कुछ जड़ी बूटियां पूरी दुर्लभ होने के कारण उनके स्थान पर अन्य जड़ी बूटियों को विकल्प के तौर पर प्रयोग किया जाता है।
इनके अलावा महानारायण तेल प्रजस्थापन, रसायन , बल्य था बृंहण गुणों युक्त होता है जिससे यह शरीर को बल देता है। यह वात नाशक, उष्ण, त्वचा के लिए हितकर तथा सभी प्रकार के वात रोगों में देय है।
यह ज्यादातर मालिश के लिए बाहरी रूप से उपयोग किया जाता है लेकिन इसे आंतरिक रूप से भी लिया जा सकता है।
आयुर्वेद में विभिन्न प्रकार के की चिकित्सा उपक्रमों जैसे- पंचकर्म चिकित्सा, अनुवासन बस्ति, मात्रा बस्ति, नस्य कर्म, स्नेहन स्वेदन, मालिश आदि में इसका उपयोग किया जाता है। यह जोड़ों को मजबूत बनाता है, सूजन को कम करता है और दर्द से राहत देता है।
महानारायण तेल की प्रतिदिन मालिश करने से यह मांसपेशियों को आराम देता है, थकान को दूर करता है तथा वात रोगों में आराम देता है।
गृध्रसी (साइटिका) में महानारायण तेल के फायदे Mahanarayan Oil benefits in Sciatica Hindi
साइटिका जिसे आम भाषा में कमर की नस का दबना भी कहते नसों एक स्थिति है जो साइटिक नस के दबने के कारण होती है जिसके परिणामस्वरूप दर्द होता है। आयुर्वेद में इसे गृध्रसी कहते हें जो की एक वातज व्याधि है।
आधुनिक विज्ञान में इसे साइटिका कहते हें। गृध्रसी (साइटिका) एक दर्दनाक बीमारी है जिसमें रोगी चलने में असमर्थ होता है, और यह दैनिक जीवन की गतिविधियों को बाधित करता है।
गृध्रसी वातव्याधि होने के कारण महानारायण तेल का उपयोग इसमें में अत्यंत प्रभावी है। एक आधुनिक नैदानिक अध्ययन मैं, महावातविध्वंसन रस का मौखिक उपयोग तथा महानारायण तेल द्वारा कटिबस्ति देने पर गृध्रसी के लक्षणों को पूरी तरह से दूर करने में प्रभावी साबित हुआ है3Goswami, D. IMPACT OF ORAL ADMINISTRATION OF MAHAVATAVIDHWANSAN RASA ALONG WITH MAHANARAYAN TAILA KATIBASTI IN GRIDHRASI: A CASE REPORT. Int J Ayu Pharm Res 2015, 2.।
संधिवात में महानारायण तेल के फायदे, Mahanarayan Oil benefits in Osteoarthritis in Hindi
महानारायण तेल का अधिकतर उपयोग संधिवात में किया जाता है। इसमें में वातनाशक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-आर्थराइटिक गुण होते हैं जिसके परिणामस्वरूप हड्डी और जोड़ों की सूजन को कम करता है और संधिवात (osteoarthritis), गठिया (जोड़ों का दर्द) वात रक्त (gouty arthritis) की स्थिति से राहत देता है।
इसका शरीर पर सुखदायक प्रभाव पड़ता है। इसकी बल्य (strengthening) और बृंहण (पोषण) क्रिया मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों को मजबूत करती है।
अनिंद्रा में महानारायण तेल के फायदे, Mahanarayan Oil benefits for Insomnia Hindi
महानारायण तेल की सिर पर मालिश करने से यह अनिंद्रा, सिर दर्द, माइग्रेन डिप्रेशन तथा तनाव जैसे विकारों को दूर करता है। एक आधुनिक अध्ययन महानारायण तेल द्वारा मात्राबस्ति देने से अनिद्रा से राहत दिलाने में महत्वपूर्ण परिणाम प्रदर्शित करती है 4Gupta H, et al. Efficacy of Mahanarayana Taila Matra Basti in Primary Insomnia (Anidra)-An Analytical Review. Nat Ayurvedic Med 2021, 5(4): 000332.।
महानारायण तेल लगाने की विधि व मात्रा
- आंतरिक प्रयोग – 3-5 ml या आयुर्वेदिक चिकित्सक के द्वारा निर्धारित अनुसार।
- बाह्य प्रयोग – सर्व प्रथम हाथ पैर धोकर महानारायण तेल को हल्का गुनगुना करके प्रभावित स्थान पर लगभग 5 से 10 मिनट तक महानारायण तेल की मालिश करनी चाहिए।
इसी तरह अन्य सभी प्रभावित अंगों पर भी मालिश करनी चाहिए। सामान्यतः पंचकर्म चिकित्सा में 15 से 45 मिनट तक मालिश की जाती है।
महानारायण तेल के दुष्प्रभाव/ साइड इफ़ेक्ट्स
- महानारायण तेल के बाहरी उपयोग से संबन्धित कोई दुष्प्रभाव नहीं बताया गया है। हालांकि आंतरिक उपयोग केवल चिकित्सा मार्गदर्शन के तहत ही किया जाना चाहिए।
- ज्यादातर लोगों में, यह अच्छी तरह से सहन किया जाता है और किसी भी प्रतिकूल प्रतिक्रिया को प्रेरित नहीं करता है।
- महानारायण तेल को आम व्याधि, अपच, कफ विकार, उल्टी आदि में नहीं दिया जाता इन स्थितियों के साथ महानारायण तेल का उपयोग करने से प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है।
References
- 1Kumar, Satyendra & Madaan, Alka & Verma, Ritu & Gupta, Arun & Jatavallabhula, Sastry. (2014). In vitro anti-inflammatory effects of Mahanarayan oil formulations using dendritic cells based assay. Annals of Phytomedicine. 3. 40-45.
- 2Rastogi S. Rehabilitative potential of Ayurveda for neurological deficits caused by traumatic spinal cord injury. J Ayurveda Integr Med. 2014 Jan;5(1):56-9. doi: 10.4103/0975-9476.128868. PMID: 24812477; PMCID: PMC4012364.
- 3Goswami, D. IMPACT OF ORAL ADMINISTRATION OF MAHAVATAVIDHWANSAN RASA ALONG WITH MAHANARAYAN TAILA KATIBASTI IN GRIDHRASI: A CASE REPORT. Int J Ayu Pharm Res 2015, 2.
- 4Gupta H, et al. Efficacy of Mahanarayana Taila Matra Basti in Primary Insomnia (Anidra)-An Analytical Review. Nat Ayurvedic Med 2021, 5(4): 000332.