शहद और घी दोनों ही स्वास्थ्य के लिए उत्तम पोषक पदार्थ हे। परंपरागत रूप से इन दोनों का प्रयोग सदियों से आहार व औषध दोनों के प्रयोजनों के लिए किया जाता रहा है। आयुर्वेद शहद के लाभ, गुण और खपत के बारे में जानकारी का खजाना प्रदान करता है।
शहद के लाभ, गुण और घी के साथ सेवन के बारे में पिछले लेख में विस्तार से बता चुका हूँ। आप आयुर्वेद के अनुसार शहद के लाभ, गुण, शहद की शुद्धता की पहचान और सेवन के बारे में विस्तार से और पढ़ सकते हें।
आयुर्वेद के अनुसार शहद रस में मधुर, पचने में आसान और उष्ण वीर्य वाला होता है। यह कफ और पित्त दोषों को शांत करता है।
आयुर्वेद के अनुसार शहद के कई फायदे हैं, जिसमें पाचन शक्ति को बढ़ाने, त्वचा को फायदा पहुंचाने, आवाज को फायदा पहुंचाने, हृदय के लिए हितकर और आंखों को पोषण देने की क्षमता शामिल है। शहद के कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी हैं जो यह प्रदान करता है। शहद आंतों के मार्ग, त्वचा, हृदय प्रणाली और फेफड़ों के स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाता है।
आधुनिक के अनुसार भी शहद में कई तरह के खनिज, विटामिन, अमीनो अम्ल , प्रोटीन, एंजाइम (ग्लूकोज ऑक्सीडेज, कैटेलेज), कार्बनिक अम्ल और वाष्पशील यौगिक, प्रीबायोटिक्स पाए जाते हैं जो स्वस्थ्य के लिए हितकर होते हें।
क्या घी और शहद एक साथ लिया सकता है?
नहीं,आयुर्वेद के अनुसार शहद और घी को समान मात्रा में नहीं लेना चाहिए क्यूँकि यह विरुद्ध आहार है, और स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। हालाँकि आयुर्वेद के अनुसार शहद ओर घी को विषम या असमान मात्रा में लिया जा सकता।
‘Ushnam cha samagrutham Madhu marayati’ शहद और घी को समान अनुपात में मिलाने से यह अपच और आम का कारण बनता है, जो विभिन्न रोगों का कारण है।
आधुनिक अध्यानों ने भी यह पुष्टि की है की की गर्म शहद को घी के साथ मिलाने पर यह Hydroxymethylfurfural (HMF) नामक रासायनिक पदार्थ बनता है, जो स्वास्थ्य पर विषैला और घातक प्रभाव डाल सकता है। अतः शहद अथवा घी को इनकी प्रकृतिक अवस्था में लेना चाहिए।
क्या शहद को गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है?
आयुर्वेद में शहद को उष्ण वीर्य (कुछ के अनुसार शीत) बताया गया है। और उष्ण वीर्य (जो द्रव्य गर्म प्रभाव दिखाते हें) वाले द्रव्यों के साथ शहद का सेवन आहार, संयोग और संस्कार इन तीनो के विरुध बताया गया है। इसलिए शहद को ना तो पकाकर अथवा गर्म करके और नाहीं किसी भी उष्ण द्रव्य अथवा उष्ण वीर्य वाले द्रव्यों के साथ सेवन करना चाहिए।
उदाहरण लिए बुखार जो सभी शारीरिक दोषों को प्रकुपित करता है में शहद का सेवन वर्जित है।
समकालीन अध्ययनों ने भी पुष्टि की है कि शहद को गर्म करने से हाइड्रॉक्सीमेथाइल फुरफुरल्डिहाइड (एचएमएफ), ब्राउनिंग और एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि में वृद्धि के साथ विशिष्ट गुरुत्व कम हो जाता है।
इसके अतिरिक्त शहद को सामान्य से अधिक मात्रा में भी नहीं लेना चाहिए, यदि अधिक मात्रा में लिया जाए ओर पचाया ना जा सके तो आयुर्वेद के अनुसार यह आम (बिना पचा हुआ भोजन जो विषैला प्रभाव दिखाता है) उत्पत्ति का कारण बन सकता है जिसे आयुर्वेद में विष के समान बताया गया है।