शहद एक अद्भुत औषधि है जिसका उपयोग लोग प्राचीन काल से औषधीय और खाद्य पदार्थ दोनों के रूप में करते आ रहे हैं। शहद के फायदे और उपयोग वैदिक काल से पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों जैसे आयुर्वेद में घाव भरने से लेकर कैंसर तक की विभिन्न नैदानिक स्थितियों के लिए वैकल्पिक उपचार पद्धति के रूप में किया जाता रहा है।
शहद मधुमक्खी द्वारा एकत्रित फूलों के सार अंश (रस) का उप-उत्पाद है, जो मधुमक्खी के छत्ते के अंदर निर्जलीकरण प्रक्रिया के माध्यम से जमा होताहै। शहद का रसायनिक संघटन जटिल होता है जो प्रकृतिक स्रोत के आधार पर भिन्न होती है। इसका उपयोग प्राचीन काल से भोजन और औषधि दोनों के रूप में किया जाता रहा है।
यह सत्य है की जीवन में विविध भूमिका के साथ शहद के कई स्वास्थ्य लाभ हैं जैसे- यह पाचन शक्ति बढ़ाता है , त्वचा के लिए फायदेमंद है, आवाज की गुणवत्ता में सुधार करता है, हृदय केलिए फायदेमंद है, पचाने में आसान व आंखों के पोषण के लिए भी फायदेमंद है।
शहद के स्वस्थ्य वर्धक गुणो के कारण इसका उपयोग आधुनिक जीवन शैली के लिए बहुत ही फायदेमंद है इसलिए निश्चित रूप शहद की चिकित्सीय क्षमता के बारे में जानने की आवशकता है।
शहद की चिकित्सीय क्षमता को लेकर इंटरनेट पर किए गए दावों के लिए गंभीर रूप से देखने की आवश्यकता है। जैसे कि गर्म पानी के साथ मिश्रित शहद के चिकित्सीय प्रयोजन को लेकर इंटरनेट पर किए गए दावों पर विचार करने कि आवश्यकता है।
गरम पानी स्वास्थ्य सुधार के लिए बहुत ही उपियोगी है जो हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थ निकालता है। आयुर्वेद शहद को पकाकर खाना या गर्म पानी के साथ लेने का समर्थन कदापि नहीं करता। इसलिए आज हम शहद के गुणों व इंटरनेट पर हो रहे शहद मिश्रित गरम पानी के चिकित्सीय दावों की पुष्टि करेंगे।
शहद का रसायनिक संघटन, Chemical composition of Honey in Hindi
शहद एपिस (Apis) जाति की मधुमक्खियों द्वारा पौधों के सार अंश से एकत्रित किया जाता है। यह स्वाद में मधुर, स्वादिष्ट, ओर उच्च पोषक तत्वों से भरपूर होता है। शहद में मुख्य रूप से फ्रूक्टोज़ शर्करा सबसे अधिक मात्रा होता है।
शहद में खनिज, विटामिन, अमीनो अम्ल, प्रोटीन, एंजाइम (ग्लूकोज ऑक्सीडेज और कैटलस), कार्बनिक अम्ल और वाष्पशील यौगिक, प्रीबायोटिक आदि पाये जाते हें। इनके अतिरिक्त शहद अनेक जैविक गुणों (जैसे, एंटीऑक्सिडेंट, जीवाणुरोधी (antibackterial, एंटीवायरल (antiviral), एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-अल्सरस, इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग, वासोडिलेटिंग (Vasodilating Agent), हाइपोटेंशन (लो ब्लड प्रेशर), एंटीहाइपरकोलेस्ट्रोलेमिक (कोलेस्ट्रॉल को कम करता है), एंटीब्राउनिंग, कीटाणुनाशक और एंटीट्यूमर गुण पाये जाते हें।
आधुनिक अध्ययन तथा विकिपीडिया पर एक लेख के अनुसार शहद में निम्न तत्व होते हें।
शहद के रासायनिक घटक, पोषक तत्वों की मात्रा प्रति 100 ग्राम | ||||
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पोषक तत्व | मात्रा | |||
ऊर्जा | 304 किलोकैलोरी (kcal) | |||
कार्बोहाइड्रेट | 82.4 g | |||
प्रोटीन | 0.3 g | |||
वसा | 0 | |||
जल | 17.10 ग्राम | |||
विटामिन | मात्रा | |||
विटामिन बी1 (थायमीन) | 0.004 – 0.006 mg | |||
विटामिन बी2 (राइबोफ्लेविन) | 0.038 mg | |||
विटामिन बी3 (नियासिन) | 0.121 mg | |||
विटामिन बी5 पैंटोथेनिक अम्ल | 0.068 mg | |||
विटामिन बी6 (पिरिडॉक्सिन) | 0.024 मिलीग्राम | |||
विटामिन सी (एस्कॉर्बिक अम्ल) | 0.5 मिलीग्राम | |||
खनिज पदार्थ | मात्रा | |||
कैल्सियम | 6 मिलीग्राम | |||
आयरन | 0.42 मिलीग्राम | |||
मैगनीशियम | 2 मिलीग्राम | |||
फास्फोरस | 4 मिलीग्राम | |||
पोटैशियम | 52 मिलीग्राम | |||
सोडियम | 4 मिलीग्राम | |||
ज़िंक | 0.22 मिलीग्राम | |||
आयुर्वेद के आनुसार शहद के गुण, Qualities of Honey according to Ayurveda in Hindi
- रस (Taste) — मधुर (sweet)
- अनुरस — कषाय (astringent)
- गुण (Quality) — लघु (हल्का व आसानी से पचने वाला), विशद, रुक्ष
- वीर्य (Potency) — उष्ण (गर्म), कुछ लेखक शीत (ठंडा) के रूप में बताते हैं।
- विपाक (पचने के बाद प्रभाव) — मधुर (मीठा)
- त्रिदोष पर प्रभाव — कफ और पित्त दोष को शांत करता है।
- शहद के अन्य नाम — पुष्परस, पुष्पासव (फूलों से उत्पन्न), मधु (रस में मधुर), माक्षिक, मध्विका, क्षौद्र आदि।
शहद की शुद्धता की जांच कैसे करें, Honey purity test in hindi
शुद्ध शहद की परीक्षा/गुण-
- शुद्ध शहद जल में डालने पर तुरंत नहीं फैलता/घुलता है।
- जब शुद्ध शहद को पानी में डाला जाता है, तो वह बर्तन के तल में जमा हो जाता है।
- शुद्ध शहद स्वाद में मधुर (sweet) और हल्का कषाय (astringent) होता है।
शहद खाने के फायदे, Honey benefits in Hindi
आयुर्वेदिक ग्रंथ के अनुसार शहद प्रकृति में मीठा, रूक्ष (शुष्क प्रकृति का), शीतल (ठंडा) ( कुछ गर्म बताते हें), जो पाचन शक्ति, त्वचा की चमक, आवाज की गुणवत्ता में सुधार, पचने में आसान, हृदय के लिए हितकर, उपचार ,आंखों के पोषण के साथ-साथ विषाक्तता को भी शांत करता है।
यह पित्त, कफ और मेद को अपने गुणों से शांत करता है और मूत्र विकार, हिचकी, सांस की तकलीफ, खांसी, दस्त को भी ठीक करता है।
आयुर्वेद ग्रंथ में शहद को अग्निदीपन (जठराग्नि प्रदीप्त करता है व पाचन शक्ति बढाता है), पित्त-श्लेष्महर (पित्त व कफ दोष को शांत करता है), मेदोहर (मोटापे को कम करता है), लेखन (शरीर के श्रोतसों को शुद्ध करता है ), ग्राही (अग्नि प्रदीप्त करता है व पाचन में सुधार करता है), क्षेदन (शरीर से मल को बाहर निकालता है) हृद्य (हृदय के लिए हितकर), वाजीकरण (कामोत्तेजक), संधान (घावों को ठीक करने में सहायक), शोधन करता है।
शहद व्रण रोपण (घावों को भरने में सहायक), चक्षुष्य (आँखों के लिए हितकर), प्रसाधन( त्वचा के लिए फायदेमंद), वर्ण्य (त्वचा के वर्ण को निखारता है), स्वर्य (आवाज की गुणवत्ता में सुधार करता है), सुकुमार (त्वचा को कोमल बनाता है), हिचकी, कुष्ठ (त्वचारोग), कृमि, क्षर्दि (उल्टी), श्वास-कास ( चिरकारी सांस की बीमारी, सांस की तकलीफ), अतिसार, व्रंशोधन, व्रंरोपण, वातल (वात को बड़ाता है), सूक्षम स्रोतसों (channels) में प्रवेश करने वाला, प्यास को शांत करने वाला, विषप्रशमन (विषाक्तता को कम करता है), योगवाही (अन्य द्रव्यों के साथ लेने पर उनके गुण व प्रभाव की बड़ाता है), आदि गुण बताए गए हें।
शहद खाने के गुण, सुबह खाली पेट शहद खाने के फायदे,
- शहद को कई आयुर्वेदिक दवाओं के सह-पेय के रूप में दिया जाता है, यह उत्प्रेरक के रूप में काम करता है और आयुर्वेद के अनुसार दवा की कार्य शक्ति को बढ़ाता है।
- शहद एक उत्कृष्ट घाव भरने वाले के रूप में काम करता है, इसे घी के साथ घावों पर और न भरने वाले अल्सर पर लगाया जा सकता है। शहद कि घाव भरने कि गतिविधि आधुनिक अध्ययन के अनुसार भी सत्यापित है1Jull AB, Cullum N, Dumville JC, Westby MJ, Deshpande S, Walker N. Honey as a topical treatment for wounds. Cochrane Database of Systematic Reviews 2015, Issue 3. Art. No.: CD005083. DOI: 10.1002/14651858.CD005083.pub4।
- शहद एसिड रिफ्लक्स (पेट में अधिक एसिड का बनना अथवा एसिडिटी) को कम करने में मदद करता है। एक नैदानिक अध्ययन भी शहद कि एसिड रिफ्लक्स गतिविधि का समर्थन करता है2Pasupuleti VR, Sammugam L, Ramesh N, Gan SH. Honey, Propolis, and Royal Jelly: A Comprehensive Review of Their Biological Actions and Health Benefits. Oxid Med Cell Longev. 2017;2017:1259510. doi:10.1155/2017/1259510।
- शहद में जीवाणुरोधी (anitibacteriyal) गुण होते हें जिससे यह जीवाणु संक्रमण से लड़ने में बहुत ही प्रभावी है जोकि आधुनिक अध्ययन द्वारा भी यह सत्यापित है। जीवाणु संक्रमण से लड़ने के लिए मुख्यरूप से मनुका शहद प्रभावी बताया गया है3Johnston, M., McBride, M., Dahiya, D., Owusu-Apenten, R., & Nigam, P. S. (2018). Antibacterial activity of Manuka honey and its components: An overview. AIMS microbiology, 4(4), 655–664. https://doi.org/10.3934/microbiol.2018.4.655।
- श्वास – कास (खासकर बच्चों की खांसी और सर्दी), डायरिया, उल्टी, कृमि संकर्मण संबंधी समस्याओं में शहद का उपयोग फायदेमंद है। सामान्य खांसी और सर्दी में शहद को रात को सोने से पहले लेने को सलाह दी जाती है।
- शहद में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं। इसलिए यह कैंसर रोधी एजेंट के रूप में भी काम करता है और कैंसर के उपचार में उपयोगी है। आधुनिक अध्ययन भी कैंसर रोधी एजेंट के रूप में मनुका शहद के उपयोग का समर्थन करता है4Samarghandian, S., Farkhondeh, T., & Samini, F. (2017). Honey and Health: A Review of Recent Clinical Research. Pharmacognosy research, 9(2), 121–127. https://doi.org/10.4103/0974-8490.204647।
- नियंत्रित मधुमेह में, मधुमेह रोगी शहद को प्राकृतिक स्वीटनर के रूप में ले सकता है, इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण छोटे संक्रमणों से भी लड़ने में मदद करते हैं। अगर मधुमेह नियंत्रण में नहीं है तो शहद सहित चीनी का सेवन बिल्कुल भी नहीं करने की सलाह दी जाती है।
- शहद का उपयोग अनिद्रा (sleep disturbances) में ठंडे पानी के साथ किया जाता है।
- पीलिया (juandice) में गिलोय अथवा दारू हरिद्रा के साथ शहद का उपयोग किया जाता है।
- अपच (indigestion) और कब्ज (constipation) में शहद व गिलोय का उपयोग जौ के पानी के साथ किया जाता है।
- जल साथ मिश्रित शहद व नींबू के उपयोग वजन कम (Weight loss) करने के लिए किया जाता है।
- चरक संहिता के अनुसार शहद के साथ आंवला जूस व शुद्ध सल्फर का उपयोग 18 प्रकार के कुष्ठ रोगों (skin disorders) को ठीक करता है।
शहद के फायदे चेहरे पर
शहद त्वचा के लिए भी फायदेमंद है और सभी प्रकार के त्वचा रोगों (skin disorder) जैसे – एक्जिमा, त्वचा का प्रदाह (skin burn) अथवा त्वक्शोथ (dermatitis) में प्रभावी है । आयुर्वेद में 18 प्रकार के कुष्ठ रोगों (skin disorder) में शहद का उपयोग फायदेमंद बताया गया है।
शहद और इसके कई सौंदर्य प्रसाधन उत्पाद ऑनलाइन खरीदने के लिए उपलब्ध हैं।
क्या शहद को गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है?
नहीं, आयुर्वेद के अनुसार, उष्ण वीर्य (गर्म प्रभाव दिखने वाले पदार्थ) वाले द्रव्यों के साथ शहद का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि आप इसप्रकार के संयोजन का उपयोग कर रहे हें तो इसे आपको तुरंत बंद कर देना चाहिए। क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार यह जहर के समान है। इसके अतिरिक्त आयुर्वेद के अनुसार शहद को पकाकर अथवा गर्म करके सेवन नहीं करना चाहिए।
गर्म पानी के साथ मिश्रित शहद के संयोजन के उपियोग को लेकर इंटरनेट पर कई दावे हें ओर लोग उसी संयोजन का उपयोग कर रहे हैं। यहाँ तक की अनेक विशेषज्ञ भी वजन कम करने के लिए सबसे सफल हैक्स के रूप में गर्म पानी साथ मिश्रित शहद व नींबू के उपयोग का समर्थन करते हें, लेकिन यह गलत धारणा है कि यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा।
एक आधुनिक अध्ययन में यह पुष्टि हुई है कि शहद को गर्म करने पर hydroxymethyl furfuraldehyde (MHF), ब्राउनिंग, और एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि में वृद्धि के साथ विशिष्ट गुरुत्व कम हो जाता है। अध्ययन से पता चला कि घी के साथ मिश्रित गर्म शहद (>140 डिग्री सेल्सियस) पर hydroxymethyl furfuraldehyde (MHF) पैदा करता है जो हानिकारक प्रभाव पैदा कर सकता है और जहर के रूप में कार्य कर सकता है5Annapoorani, A et al. “Studies on the physicochemical characteristics of heated honey, honey mixed with ghee and their food consumption pattern by rats.” Ayu vol. 31,2 (2010): 141-6. doi:10.4103/0974-8520.72363।
(Ushnam cha samagrutham madhu marayati) आयुर्वेद के अनुसार यह संस्कार व संयोग दोनों के विरुध है।
इस प्रकार आधुनिक अध्ययन भी आयुर्वेद के दावे का समर्थन करता है। आचार्य भावप्रकाश ने ज्वर चिकित्सा में भी उल्लेख किया है कि सन्निपात ज्वर में शहद का सेवन नहीं करना चाहिए अर्थात बुखार जो सभी दोषों को प्रकुपित कर देता है में शहद का सेवन वर्जित है इसके अतिरिक्त सभी प्रकार के गरम द्रव्यों के साथ शहद का उपयोग वर्जित है । अतः शहद या घी को इनकी प्रकृतिक अवस्था में ही उपयोग करना चाहिए।
आयुर्वेद में पंचकर्म में वमन (emesis) व बस्ती (enema) चिकित्सा में शहद का उपयोग किया जाता है। यहाँ पर शहद वर्जित नहीं है क्योकि इन दोनों चिकित्साओं में शहद का पाचन नहीं होता अपितु अपनी प्राकृतिक अवस्था में बाहर आजता है।
आयुर्वेद में च्यवनप्राश बनाने में भी शहद का प्रयोग किया जाता है। यहाँ च्यवनप्राश के पूर्णरूप से पकने पश्चात ठंडा होने पर ही शहद को मिलाया जाता है।
क्या शहद और घी एक साथ लिया जा सकता है?
घी को आयुर्वेद में प्रधान स्नेह कहा गया है इसका स्नेह गुण शरीर को पुष्ट करता है लेकिन इन सभी के फायदे तभी हें जब इन्हे सही सही मात्रा में व सही तरीके से लिया जाये। आयुर्वेद के अनुसार सम मात्रा में घी व शहद का उपयोग जहर के समान है।
हालांकि आयुर्वेद के अनुसार शहद और घी को (बिना गर्म किए) आसमान अनुपात (2:1) में लिया जा सकता है।
आधुनिक अध्ययन से सत्यापित है कि घी के साथ मिलाया हुआ गर्म शहद (>140 डिग्री सेल्सियस) पर hdroxymethyl furfuraldehyde (MHF) बनाता है जो घातक प्रभाव पैदा कर सकता है और जहर के रूप में कार्य कर सकता है।
मोटापा व वजन कम करने में शहद के फायदे, Honey benefits for weight loss in Hindi
आज कल गर्म जल साथ मिश्रित शहद व नींबू के उपयोग की सलाह वजन कम करने के लिए दी जाती है। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार गर्म जल के साथ शहद वर्जित है। इसलिए गर्म पानी के बजाय मोटापा व वजन कम करने के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि पानी को गर्म करके तथा ठंडा होंने के पश्चात ही शहद व नींबू के साथ उपयोग करें।
पुराने शहद के लेखन व ग्राही गुण के कारण यह मोटापे या वजन कम करने में सहायक है। आयुर्वेद के अनुसार शहद का उपयोग एक दिन में 4 से 5 चम्मच से अधिक नहीं करना चाहिए।
आप हमारे बीएमआई कैलकुलेटर टूल का उपयोग यह जांचने के लिए कर सकते हैं कि आपका वजन अधिक है या नहीं।
शहद का त्रिदोष पर प्रभाव, Honey Effect on Tridosha in hindi
शहद मुख्य रूप से हमारे शरीर के पित्त तथा कफ दोषों को शांत करता है यह लघु, ग्राही व लेखन होने से पचने मे आसान है व शरीर से मलों ( अशुद्ध पदार्थ) को बाहर निकालता है, शरीर के श्रोतसों ( Channels) को शुद्ध करता है।
मधुर होने से मन को प्रिय तथा स्वाद संवेदना में सुधार करता है, स्वास्थ्य, शक्ति और बुद्धि को बढ़ाता है, मानसिक स्थिरता और पौरूषता को बढ़ाता है। और अनेक बीमारियों जैसे- अपरिपक्व गुल्म, प्रकुपित कफ, पित्त से संबंधित रोग आदि को ठीक करता है।
योगवाही होने से शहद को आयुर्वेद में अनेक अन्य औषध द्रव्यों के साथ सह-पेय के रूप में लेने का विधान है। यह उत्प्रेरक के रूप में काम करता है तथा अन्य औषध द्रव्यों के साथ लेने पर उनके गुण व प्रभाव को बढ़ाता है।
आयुर्वेद के अनुसार पुराना मधु अधिक कफ तथा पित्त शामक होता है जिसके कारण यह मेद (वसा) कम करता है ओर वजन कम करने में सहायक है वहीं नया मधु कम कफ शामक होता है जिससे यह वजन बड़ा सकता है।
शहद खाने के तरीके और शहद खाने के नुकसान
- क्योंकि यह प्रकृति में मीठा होता है इसलिए मधुमेह (diabetes) के रोगी को शहद का सेवन की सलाह नहीं दी जाती है।
- सम मात्रा (equal quantity) में शहद ओर घी का सेवन आहार, संयोग, और मात्रा वीरुध है इसलिए समान मात्र में घी व शहद का उपयोग नहीं करना चाहिए यह जहर के समान है। आयुर्वेद के अनुसार शहदऔर घी को विषम मात्रा (unequal quantity) में लिया जा सकता है।
- शहद को कभी भी पकाकर अथवा गर्म करके या किसी भी गरम द्रव्यों ( जेसे- अधिक गर्म दूध) के साथ सेवन नहीं करना चाहिए।
- वजन कम करने के लिए गर्म पानी को ठंडा होने के पश्चात शहद के साथ उपयोग करना चाहिए।
- सम मात्र में शहद और शीशम तैल का उपयोग भी वर्जित है।
- शहद को घी और जल के साथ विषम मात्र में भी नहीं लेना चाहिए।
- पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति द्वारा शहद के सामान्य मात्रा अधिक सेवन करने से यह रक्त को विकृत कर सकता है।
- शहद का उपयोग अधिक मात्रा में मांस, मछली के साथ उपयोग नहीं करना चाहिए।
- शरीर के अत्यधिक गर्म होने पर, बुखार (fever), और अत्यधिक गर्म मौसम (hot season) में शहद का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- आयुर्वेद में पंचकर्म की स्वेदन चिकित्सा में शहद का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- शहद का अनुचित उपयोग अपच (indigestion) अथवा आम दोष उत्पन्न करता है जो विष के समान है।
क्या PCOS में शहद ले सकते हैं?
शहद मीठे से भरपूर होता है इसलिए पीसीओएस (पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) वाली महिलाओं को इसका सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। वजन कम करना जोकि पीसीओएस मैनेजमेंट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके लिए पानी में नींबू और शहद मिलाकर ले सकते हैं।
क्या गर्भवती महिला शहद ले सकती है?
हाँ, ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है, गर्भवती महिलाएं शहद ले सकती हैं, लेकिन शहद का उपयोग सीमित मात्रा में करना सबसे अच्छा है, ध्यान रखें कि शहद का अधिक मात्रा में सेवन नहीं किया जाना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार प्रति दिन 3 से 5 चम्मच शहद लिया जा सकता है और यह एक दिन में शहद लेने की अधिकतम सीमा है।
क्या होगा अगर शहद का सेवन अधिक मात्रा में किया जाए?
आयुर्वेद के अनुसार यदि शहद का अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है और यदि इसका पाचन न हुआ, तो यह आम (Undigested food that create toxicity) का निर्माण कर सकता है जो स्वयं एक जहर है और आयुर्वेद के अनुसार घातक हो सकता है।
इसी प्रकार गरम पानी के साथ शहद का सेवन पेट में रासायनिक परिवर्तन कर सकता है जिसका शरीर पर विपरीत (विषैला) प्रभाव पढ़ सकता है।
पुराना शहद के फायदे, Purana Madhu (Old Honey benefits in hindi)
वो शहद जो एक साल या इससे पुराना हो उसे पुराना मधु कहते हें। आयुर्वेद यह भी बताता है कि हाल ही में प्राप्त शहद (नया मधु) कफ को शांत नहीं कर सकता है जिससे और मोटापा अथवा वजन बढ़ सकता है।
कभी-कभी यह दस्त का कारण भी बन सकता है। जबकि पुराना शहद अपने ग्राही और लेखन गुणों के कारण मोटापा अथवा कम करने में मदद कर सकता है।
पुराने मधु के गुण, Qualities of old Madhu in hindi
- पुराना शहद — ग्राही – शोषक, दस्त, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) में लाभकारी
- लेखन — शरीर से मलों ( अशुद्ध पदार्थ) को बाहर निकालता है), कफ दोष को संतुलित करता है, श्वसन विकारों में और हृदय के लिए हितकर है रक्त वाहिकाओं में कोलेस्ट्रॉल की समस्या में उपयोगी है
- मधुर — मीठा
- रूक्ष — रुक्ष है
- कषाय — हल्का कसैला होता है
- यह तीनों दोषों को संतुलित करता है, मुख्य रूप से कफ दोष को शांत करता है।
- उपयोग — डायबिटीज, स्थौल्यता, मेदोरोग (मोटापा अथवा वजन को कम करता है) में उपयोगी है।
निष्कर्ष (conclusion) —
हालांकि, शहद का स्वास्थ्य पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है और निसंदेह ही यह मनुष्य के लिए मूल्यवान है, यह पाचन, त्वचा रोग, पोषण, जीवाणु रोधी, घाव भरने से लेकर एंटि कैंसर एजेंट के रूप में भी प्रभावी साबित हुआ है। लेकिन इसके उचित गुणों का पता लगाना आवश्यक है।
आयुर्वेद के अनुसार गर्म पानी के साथ शहद का प्रयोग स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। लोग उसी के संयोजन का उपयोग कर रहे हैं, यह गलत धारणा है कि शहद गरम जल के साथ लेने पर फायदेमंद होगा। आयुर्वेद किसी भी गरम द्रव्य के साथ शहद लेने का समर्थन नहीं करता।
आधुनिक अध्ययन से भी यह सत्यापित है की शहद को गरम करने पर या घी के साथ समान मात्र में मिलाने पर यह hdroxymethyl furfuraldehyde (MHF) बनाता है जो शरीर पर विषैला प्रभाव डाल सकता है और जहर के रूप में कार्य कर सकता है।
References
- 1Jull AB, Cullum N, Dumville JC, Westby MJ, Deshpande S, Walker N. Honey as a topical treatment for wounds. Cochrane Database of Systematic Reviews 2015, Issue 3. Art. No.: CD005083. DOI: 10.1002/14651858.CD005083.pub4
- 2Pasupuleti VR, Sammugam L, Ramesh N, Gan SH. Honey, Propolis, and Royal Jelly: A Comprehensive Review of Their Biological Actions and Health Benefits. Oxid Med Cell Longev. 2017;2017:1259510. doi:10.1155/2017/1259510
- 3Johnston, M., McBride, M., Dahiya, D., Owusu-Apenten, R., & Nigam, P. S. (2018). Antibacterial activity of Manuka honey and its components: An overview. AIMS microbiology, 4(4), 655–664. https://doi.org/10.3934/microbiol.2018.4.655
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- 5Annapoorani, A et al. “Studies on the physicochemical characteristics of heated honey, honey mixed with ghee and their food consumption pattern by rats.” Ayu vol. 31,2 (2010): 141-6. doi:10.4103/0974-8520.72363